कोरोनावायरस संक्रमण ने अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित किया है. लॉकडाउन की वजह से कंपनियों में बड़े पैमाने पर छंटनी हुई है और सैलरी में कटौती की गई है. इससे लोगों में आर्थिक असुरक्षा काफी बढ़ी है. इस आर्थिक असुरक्षा ने उनके वित्तीय व्यवहार पर असर डाला है. लोग खर्च करने के बजाय अपना पैसा बैंकों में सुरक्षित रखना चाह रहे हैं.


आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक 5 जून को खत्म हुए पखवाड़े के दौरान देश के बैंकों में डिपोजिट ग्रोथ 11.28 फीसदी रही और  यह 139.55 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गई. इसके साथ ही क्रेडिट ग्रोथ भी दर्ज की गई और यह 6.24 बढ़ कर 102.54 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गई.


आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक 7 जून 2019 को खत्म हुए पखवाड़े में बैंकों का लोन 96.51 लाख करोड़ रुपये थे. इसी दौरान डिपॉजिट 125.40 लाख करोड़ रुपये थी. 5 जून 2020 के पखवाड़े के दौरान बैंक के एडवांस में 0.3 फीसदी यानी 32,022 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई. डिपोजिट इसी दौरान 0.9 प्रतिशत बढ़कर 125 लाख करोड़ रुपए हो गई. इंडिया रेटिंग ने कहा है कि बैंक डिपोजिट में अचानक वृद्धि पिछले कुछ महीनों में दिखी है.


अर्थव्यवस्था को लेकर लोगों में निराशा का माहौल


बैंक डिपोजिट में इजाफा यह दिखाता है अर्थव्यवस्था लेकर लोगों में अभी भी विश्वास नहीं है. सरकार ने लगातार इसे पटरी पर लाने की कोशिश में कई योजनाओं का ऐलान किया है. इनमें 20 लाख करोड़ रुपये का पैकेज शामिल है. इसमें से तीन लाख करोड़ रुपये अकेले एमएसएमई सेक्टर के लिए है. सरकार को उम्मीद है कि इससे सबसे ज्यादा रोजगार देने वाला यह सेक्टर अपने कामकाज में तेजी ला पाएगा और रोजगार बढ़ेंगे. सरकार ने प्रवासी मजदूरों को उनके गृह राज्य में ही काम देने के लिए 50 हजार करोड़ रुपये का कार्यक्रम का भी ऐलान किया है. इसके तहत प्रवासी मजदूरों को न्यूनतम 125 दिनों के लिए काम दिया जाएगा.