कोरोना महामारी संकट के बीच करेंसी नोट को सुरक्षित नहीं समझें.  रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) का कहना है कि करेंसी नोटों से किसी भी प्रकार का बैक्टीरिया और वायरस एक दूसरे के बीच फैल सकता है. इसलिए इस समय करेंसी के उपयोग की बजाय लोगों को डिजिटल भुगतान का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करना चाहिए. आरबीआई ने यह जानकारी कारोबारियों के संगठन कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) को दी है.


कैट ने वित्त मंत्रालय से मांगा था जवाब


न्यूज एजेंसी आईएएनएस की खबर के अनुसार, कैट ने बीती 9 मार्च को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को एक पत्र भेजा था. इस पत्र में कैट ने करेंसी नोट बैक्टीरिया और वायरस के वाहक हैं या नहीं, यह स्पष्ट करने का आग्रह किया था. मंत्रालय ने इस सवाल को आरबीआई के पास भेज दिया. आरबीआई ने कैट 3 अक्टूबर को जवाब दिया था कि करेंसी नोट बैक्टीरिया और वायरस के वाहक हो सकते हैं.


नकदी के इस्तेमाल से बचे


कैट को भेजे गए जवाब में आरबीआई ने कहा है "कोरोना वायरस महामारी को सीमित करने के लिए लोग अपने घरों से ही सुविधापूर्वक मोबाइल बैंकिंग, इंटरनेट बैंकिंग, कार्ड इत्यादि जैसे ऑनलाइन चैनलों के माध्यम से डिजिटल भुगतान कर सकते है. करेंसी का उपयोग करने और एटीएम से नकद निकालने से बच सकते हैं. समय-समय पर अधिकारियों द्वारा जारी कोविड-19 पर सार्वजनिक स्वास्थ्य दिशानिर्देशों का कड़ाई से पालन किया जाना आवश्यक है."


कैट राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया और राष्ट्रीय महासचिव प्रवीण खंडेलवाल के मुताबिक, आरबीआई का जवाब यह बताता है कि डिजिटल भुगतान का इस्तेमाल ज्यादा से ज्यादा होना चाहिए.


कैट का कहना है कि करेंसी नोटों द्वारा किसी भी प्रकार के बैक्टीरिया या वायरस जैसे कोविड-19 के बहुत तेजी से फैलने की संभावना सबसे ज्यादा है. इसी वजह से पिछले साल से ही संस्थान सरकार के मंत्रियों एवं अन्य प्राधिकरणों को इसका स्पष्टीकरण लेने के लिए प्रयासरत है. अनेकों बार इस मुद्दे को उठाने के बाद यह पहली बार है जब रिजर्व बैंक ने इसका संज्ञान लेते हुए जवाब तो दिया है, पर मूल प्रश्न से कन्नी काट गए. हालांकि अपने जवाब में रिजर्व बैंक ने इससे इनकार भी नहीं किया है.


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