Budget 2025: जानें, किसने कर दी बजट में कॉरपोरेट-वेल्थ टैक्स बढ़ाने की मांग, कह दिया Inheritance Tax लगाने को!
India Budget 2025: सेंट्रल ट्रेड यूनियनों ने प्रतिनिधियों ने कहा, कॉरपोरेट टैक्स घटता रहा है जबकि आम लोगों पर इनडायरेक्ट टैक्स का बोझ बढ़ता रहा है.
Union Budget 2025: देश के सेंट्रल ट्रेड यूनियनों (Central Trade Unions) ने वित्त वर्ष 2025-26 के बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) से कॉरपोरेट टैक्स (Corporate Tax), वेल्थ टैक्स (Wealth Tax) को बढ़ाने और इनहेरिटेंस टैक्स (Inheritance Tax) को लगाये जाने की मांग की है. इन ट्रेड यूनियनों से बजट को लेकर अपनी मांगों की जो फेहरिस्त सौंपी है उसमें जरूरी खाद्य वस्तुओं (Essential Food Items) और दवाओं (Medicines) पर जीएसटी रेट्स (GSTRates) बढ़ाकर आम लोगों पर टैक्स का बोझ डालने की जगह पैसे जुटाने के लिए कॉरपोरेट टैक्स, वेल्थ टैक्स और इनहेरीटेंस टैक्स का सहारा लेना चाहिए.
कॉरपोरेट-वेल्थ टैक्स बढ़ाकर जुटाये राजस्व
वित्त वर्ष 2025-26 के लिए प्री-बजट मीटिंग के आखिरी दौर में 6 जनवरी 2025 को वित्त मंत्री ने 10 ट्रेड यूनियनों के संगठन सेंट्रल ट्रेड यूनियन के प्रतिविधियों के साथ बैठक की और बजट को लेकर उनके सुझाव लिए. इस बैठक में सेंट्रल ट्रेड यूनियन ने जो सुझाव दिए हैं उसमें कहा गया रिसोर्स मोबिलाइजेशन के लिए आम आदमी पर टैक्स का बोझ डालने की जगह कॉरपोरेट टैक्स, वेल्थ टैक्स को बढ़ाने और इनहेरीटेंस टैक्स को लागू करने की मांग की है.
आम आदमी पर नहीं डाला जाए टैक्स का बोझ!
सेंट्रल ट्रेड यूनियनों ने कहा, पिछले दशकों में कॉरपोरेट टैक्स रेट्स (Corporate Tax Rates) को लगातार घटाया जाता रहा है और आम लोगों पर अप्रत्यक्ष कर यानी इनडायरेक्ट टैक्स (Indirect Tax) बढ़ाया गया है जिससे टैक्स का बोझ बढ़ा है. सेंट्रल ट्रेड यूनियनों ने कहा सुपर-रिच पर एक फीसदी इनहेरीटेंस टैक्स लगाया गया जो इससे सरकार को बड़ा राजस्व हासिल हो सकता है जिससे शिक्षा, स्वास्थ्य और दूसरे सोशल सेक्टर्स पर खर्च किया जा सकता है. ऐसे में जरूरी फूड आईटम्स और दवाओं के साथ मेडिकल इंश्योरेंस पर जीएसटी रेट में कटौती की जा सकती है.
इनकम टैक्स रिबेट की लिमिट में हो बढ़ोतरी
सेंट्रल ट्रेड यूनियनों ने वित्त मंत्री सैलरीड क्लास के लिए इनकम टैक्स रिबेट (Income Tax Rebate) की लिमिट को बढ़ाये जाने की मांग की है. इसके अलावा ईपीएफओ (EPFO) सीलिंग के साथ ईएसआई कंट्रीब्यूशन (ESI contribution) और एनटाइटलमेंट भी बढ़ाने की मांग की गई है.
बंद हो लोन Write-Off के जरिए बैंकों की लूट!
सेंट्रल ट्रेड यूनियनों ने वित्त मंत्री से पब्लिक सेक्टर बैंकों और पब्लिक एक्सचेकर के मचे लूट और लूटपाट को रोकने के साथ इंश्योरेंस सेक्टर के निजीकरण पर रोक लगाने की मांग की है. इन यूनियनों से अपने मांगों में वित्त मंत्री से लोन-राइट ऑफ और इंसोलवेंसी बैंकरप्सी कोड (Insolvency Bankruptcy Code) रूट के जरिए के जरिए कॉरपोरेट्स के कर्ज माफी को फौरन बंद करने को कहा है. इन यूनियनों ने कहा, ना तो ऐसे कॉरपोरेट कोई वैल्यू-क्रिएशन कर रहे हैं और ना रोजगार के अवसर पैदा कर रहे हैं. सेंट्रल ट्रेड यूनियनों ने कहा, बैंक लोन के डिफॉल्ट को कानूनी रूप दे दिया गया है. इन यूनियनों ने एडिशनल स्थाई मैनपावर और ब्रांच के विस्तार के जरिए दूरदराज क्षेत्रों तक बैंकिंग सुविधा उपलब्ध कराने की मांग की है.
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