डेट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करने वालों रुझान कॉरपोरेट बॉन्ड की ओर तेजी से बढ़ता जा रहा है. दरअसल एफडी और दूसरे फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट्स की ब्याज दरों में कमी की वजह से ज्यादा निवेशक अब कॉरपोरेट बॉन्ड में पैसे लगा रहे हैं. एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स ऑफ इंडिया यानी AMFI के आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर में कॉरपोरेरेट बॉन्ड फंड्स में 15,051 करोड़ रुपये आए. दरअसल इसकी कई वजहें बताई जा रही हैं.


म्यूचुअल फंड्स कम जोखिम वाले बॉन्ड में बढ़ा रहे हैं आवंटन 


पहली वजह तो यह है कि म्यूचुअल फंड्स स्कीमों में कॉरपोरेट बॉन्ड्स के कम्पोजिशन बदलते जा रहे हैं. ये फंड AAA  और AAA+  में आवंटन बढ़ा रहे हैं जिससे जोखिम घटता जा रहा है.लिहाजा इनमें निवेशक बढ़ रहे हैं. दूसरी वजह यह है कि फिक्स्ड डिपोजिट की तुलना में इनमें रिटर्न ज्यादा मिल रहा है. टैक्स कटौती के बाद भी इनका रिटर्न एफडी से ज्यादा है. दूसरी ओर आरबीआई के पॉजिटिव फारवर्ड गाइडेंस से भी कॉरपोरेट बॉन्ड में निवेश बढ़ा है. फंड हाउस लगातार कॉरपोरेट बॉन्ड में पैसा लगा रहे हैं. लिहाजा इसमें निवेश का रूझान बढ़ रहा है. आरबीआई का लिक्विडिटी सपोर्ट में भी कॉरपोरेट बॉन्ड फंड में निवेश को बढ़ावा दे रहा है.


कम जोखिम और फिक्स्ड रिटर्न का बढ़िया माध्यम 


विशेषज्ञों का कहना है कि अगर तीन से पांच साल की मीडियम अवधि में निवेश के लिए डेट म्यूचुअल फंड स्कीमों की तलाश में हैं, साथ ही निवेश के साथ ज्यादा जोखिम भी नहीं लेना चाहते हैं. तो, उस स्थिति में कॉरपोरेट बॉन्ड फंडों में निवेश का विकल्प अपना सकते हैं. बैंक एफडी स्कीम अब निवेशकों के लिए भारी घाटे का सौदा बनते जा रहे हैं. इसलिए बेहतर रिटर्न वाले फिक्स्ड इनकम योजनाओं की तलाश में निवेशकों अलग-अलग विकल्प तलाश रहे हैं. इनमें बेहतर रिटर्न की वजह से कॉरपोरेट बॉन्ड जैसे इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश बढ़ता जा रहा है.


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