डिमांड में कमी और लागत बढ़ने से घटेगा कंपनियों का मुनाफा, महंगे कच्चे माल ने भी बढ़ाई चिंता
अर्थव्यवस्था में हल्की रफ्तार दिखी है लेकिन इसके एक बड़े हिस्से में अभी भी मजबूती नहीं दिख रही है. मांग कम है और क्रेडिट ग्रोथ हल्की है.
कॉरपोरेट कंपनियों के दिसंबर तिमाही के मुनाफे से ऐसा लग रहा था कि नए वित्त वर्ष ( 2021-22) में इन्हें और अच्छा मुनाफा हो सकता है. लेकिन ये उम्मीदें अब पूरी होती नहीं दिख रही हैं. भले ही अर्थव्यवस्था में थोड़ी रफ्तार दिख रही हो लेकिन 2021-22 की चुनौतियां बड़ी हैं. दरअसल अभी भी अर्थव्यवस्था के बड़े हिस्से की स्थिति नाजुक बनी हुई है.
कमोडिटी के दाम बढ़ने से दबाव बढ़ा
हालांकि वित्त वर्ष 2021-22 में लो बेस की वजह से वित्त वर्ष 2021-22 में कंपनियों को फायदा दिख सकता है लेकिन तुलनात्मक रूप से डिमांड में कमी और लागत बढ़ने से उनके मुनाफे में गिरावट आ सकती है. सबसे बड़ी चिंता कमोडिटी की बढ़ती कीमतों की वजह से पैदा हो रही है. कच्चे तेल के साथ ही तमाम कमोडिटी की कीमतों में इजाफा हो रहा है , इस वजह से आने वाले दिनों में कंपनियों के लिए लागत को कंट्रोल करना मुश्किल होगा.
कमाई घटने से कंज्यूमर डिमांड में गिरावट
दूसरी चिंता यह है कि ज्यादा कमाई वाले परिवारों की ओर से मांग में कमी आने के बाद आम उपभोक्ताओं के बीच मांग बढ़ाना मुश्किल होगा. विश्लेषकों का कहना है कि लॉकडाउन ने मकान कुछ और दूसरी चीजों की खरीदारी की जरूरत को बढ़ाया है. हालांकि सस्ते घरों की बिक्री की रफ्तार बनी रहेगी लेकिन कुछ दूसरी चीजों की मांग में कमी आ सकती है.
दरअसल कोविड-19 की वजह से शहरों में रहने वाली बड़ी आबादी की कमाई पर असर पड़ा है. इससे खपत पर निश्चित तौर पर कमी आएगी . दरअसल क्रेडिट ग्रोथ में कमी और डिमांड न बढ़ने से कॉरपोरेट कंपनियों की चिंता बढ़ती जा रही है. इसलिए दिसंबर तिमाही में बेहतर प्रदर्शन करने वाली कंपनियों को अब लग रहा है कि नए वित्त वर्ष में उन्हें वो ग्रोथ हासिल नहीं होगी.
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