देश में कारोबार को बढ़ावा देने के लिए सरकार लगातार कई उपाय कर रही है. इन्हीं प्रयासों के तहत कुछ साल पहले केंद्र सरकार ने कॉरपोरेट टैक्स की दरों को कम करने का फैसला लिया था. टैक्स की दरें कम करने से सरकार की कमाई पर बड़ा असर हुआ है.


वित्त राज्य मंत्री ने दी संसद में जानकारी


वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने इस संबंध में संसद में आंकड़े बताया. उन्होंने कहा कि कॉरपोरेट टैक्स की दरें कम करने के चलते सरकार को वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान राजस्व के मोर्चे पर 1 लाख करोड़ रुपये से कुछ ज्यादा ही नुकसान हुआ. वह कॉरपोरेट टैक्स की दरें कम करने से सरकारी खजाने पर हुए असर को लेकर एक सवाल का लिखित जवाब दे रहे थे.


इस तरह से कम हो रहा है घाटा


हालांकि कॉरपोरेट टैक्स की दरें कम करने के बाद साल दर साल सरकार का घाटा कम होते जा रहा है. इससे पहले मंत्री ने फरवरी में संसद को बताया था कि कॉरपोरेट टैक्स को कम करने के फैसले से सरकार को राजस्व के मोर्चे पर 2019-20 में 1.28 लाख करोड़ रुपये का घाटा हुआ था. ताजी जानकारी के अनुसार, यह घाटा साल भर बाद यानी 2020-21 में 1 लाख करोड़ रुपये के पास आ गया.


धीरे-धीरे भर रहा है राजस्व का गैप


31 मार्च 2023 को समाप्त हुए वित्त वर्ष के आंकड़े बताते हैं कि राजस्व के घाटे में और कमी आई है. प्राथमिक आंकड़ों के अनुसार, 2022-23 में कॉरपोरेट टैक्स का कलेक्शन 8.28 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा रहा है. कुल कलेक्शन का आंकड़ा 2021-22 में 7.12 लाख करोड़ रुपये रहा था. वहीं वित्त वर्ष 2018-19 और 2019-20 में इसका आंकड़ा क्रमश: 6.63 लाख करोड़ रुपये और 5.56 लाख करोड़ रुपये रहा था.


इतनी कम की गईं टैक्स की दरें


केंद्र सरकार के द्वारा कॉरपोरेट टैक्स की दरें कम करने से नई और पुरानी कंपनियां दोनों को फायदा हुआ है. जहां पुरानी कंपनियों के लिए कॉरपोरेट टैक्स की दर को 30 फीसदी से घटाकर 22 फीसदी कर दिया गया है, वहीं 1 अक्टूबर 2016 के बाद बनी कंपनियों के लिए टैक्स की दर 25 फीसदी से घटाकर 15 फीसदी कर दी गई है. हालांकि नई दरों को चुनने के बाद कंपनियों को पहले से मिल रही छूट व कटौतियों के लाभ को छोड़ना पड़ता है.


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