India corruption ranking 2024: आज नौ दिसंबर भ्रष्टाचार विरोधी दिवस है. इसी मौके पर सरकारी दफ्तरों में फैले भ्रष्टाचार की चौंका देने वाली रिपोर्ट सामने आई है. इसके मुताबिक, सरकारी विभागों में 100 में से 66 कंपनियों के काम बिना घूस दिए नहीं होते हैं. घूसखोरी के मकड़जाल के कारण ईज ऑफ डूइंग बिजनेस से लेकर सिंगल विंडो क्लीयरेंस जैसी कवायदें निरर्थक साबित हो रही हैं. ऑनलाइन प्लेटफॉर्म लोकल सर्कल (Local Circle) के सर्वे रिपोर्ट में इस सच्चाई का खुलासा हुआ है. सर्वे में शामिल कंपनियों ने स्वीकार किया कि उन्हें सरकारी सेवाओं का लाभ लेने के लिए किसी न किसी तरीके से घूस देने के लिए मजबूर होना पड़ा है. सप्लायर क्वालीफिकेशन, कोटेशन या आर्डर प्राप्त करने अथवा भुगतान पाने के मामलों में ज्यादातर रिश्वतें दी गईं. इनमें से 83 फीसदी मामलों में नगद राशि और 17 फीसदी मामलों में गिफ्ट दिए गए हैं.
घूस के लिए जानबूझकर अटकाते हैं काम
सर्वे में उभरकर सामने आया है कि सरकारी एजेंसियों के पदाधिकारी या कर्मचारी घूस की रकम के लिए कंपनियों के काम जानबूझकर अटकाते हैं. रिश्वत लेने के बाद ही फाइल को मंजूरी दी जाती है. इनमें रिश्वत का 75 फीसदी हिस्सा, कानूनी, माप-तौल, खाद्य, दवा, स्वास्थ्य आदि विभागों के अधिकारियों को भेंट चढ़ानी पड़ती है. जीएसटी, प्रदूषण, नगर निगम और बिजली विभागों में भी भ्रष्टाचार का खूब बोलबाला है.
CCTV लगाने पर भी नहीं कम हुआ भ्रष्टाचार
18 हजार कारोबारियों से बातचीत के आधार पर तैयार की गई रिपोर्ट से पता चलता है कि पिछले एक साल में रिश्वत देने वालों में से 54 फीसदी को ऐसा करने के लिए मजबूर किया गया. जबकि 46 फीसदी ने समय पर काम होने के लिए ऐसा किया. कई विभागों में तो काम के मुताबिक घूस की रकम पहले से तय होने की बात भी पता चली. रिपोर्ट से साफ है कि सीसीटीवी कैमरों के लगाने से भी सरकारी दफ्तरों में भ्रष्टाचार कम नहीं हुआ है. जरूर इसके लिए बातचीत सीसीटीवी से दूर बंद दरवाजों के भीतर की जा रही है.
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