Costly ATF To Hit Aviation Industry: महंगे केच्चे तेल के चलते हवाई ईंधन के दामों में बीते चार महीनों में जबरदस्त उछाल आया है. जिसका खामियाजा देश के एविएशन इंडस्ट्री को उठाना पड़ सकता है. महंगे हवाई ईंधन के चलते एयरलाइंस किराया बढ़ा रहे हैं जिसका असर हवाई सफर करने वाले यात्रियों की संख्या पर पड़ रहा है. रेटिंग एजेंसी ICRA ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि एटीएफ के बढ़ती कीमतों का असर देश के एविएशन इंडस्ट्री के रिकवरी पर पड़ सकता है.
सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियों ( Oil Marketing Companies) ने बताया कि राष्ट्रीय राजधानी में एटीएफ (Air Turbine Fuel) की कीमत 1,16,851 रुपये प्रति किलोलीटर हो गई है. यह एटीएफ (ATF) का सबसे उच्चतम स्तर है. एटीएफ की कीमत अगस्त, 2008 में 71,028.26 रुपये प्रति किलोलीटर थी, जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमत 147 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल को छू गई थीं. हवाई ईंधन की कीमतों की तेल कंपनियां हर पखवाडे़ समीक्षा करती हैं. सरकारी तेल कंपनियों के पेट्रोल डीजल और हवाई ईंधन के दाम तय करने का अधिकार है. ये कंपनियां रूस और यूक्रेन युद्ध के चलते कच्चे तेल के दामों में उछाल के बाद हवाई ईंधन के दाम लगातार बढ़ा रही हैं.
रेटिंग एजेंसी ICRA के मुताबिक बीते वर्ष मई से लेकर इस मई तक एक साल में कच्चे तेल के दामों में भारी उछाल के बाद हवाई ईंधन के दामों में 89 फीसदी का उछाल आ चुका है. एटीएफ के दामों में बढ़ोतरी का असर एयरलाइंस कंपनियों के कमाई पर भी पड़ा है.
एजेंसी के मुताबिक देश का एयर ट्रैफिक जल्द ही कोविड पूर्व समय के बराबर रिकवर कर लेगा. अप्रैल 2022 में घरेलू एयर ट्रैफिक कोविड पूर्व काल से केवल 5 फीसदी कम है. जबकि इंटरनेशनल एयर ट्रैफिक प्री-कोविड काल को पार कर चुका है. अप्रैल 2022 में जहां 10.5 मिलियन लोगों ने घरेलू हवाई यात्रा की है वहीं 1.85 मिलियन इंटरनेशनल ट्रैफिक पैसेंजर रहा है. अप्रैल 2022 में हवाई यात्रियों की संख्या प्रति फ्लाइट औसतन 128 थी जो मार्च 2022 में 132 और फरवरी 2022 में 135 था.
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