लॉकडाउन की वजह दवाओं की बिक्री भी कम हो गई है. देश में संक्रमण रोधी, सांस और पेट की बीमारियों की दवाइयों की बिक्री में गिरावट दर्ज की गई है. कोविड-19 संक्रमण की वजह से लगे लॉकडाउन के लगातार चौथे महीने इन दवाइयों की बिक्री में गिरावट आई है. लॉकडाउन की वजह से मरीज छोटी बीमारियो का इलाज कराने अस्पतालों में नहीं पहुंच रहे हैं. ऑल इंडिया ओरिजिन केमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट्स एसोसिएशन के मुताबिक अप्रैल से संक्रमण रोधी दवाइयों की बिक्री में कमी आई है.


अप्रैल से इसकी औसत बिक्री में 15 फीसदी की गिरावट आई है. जुलाई में बिक्री में 10 फीसदी की गिरावट आई है. इसी तरह गेस्ट्रो मेडिसिन में की बिक्री में भी गिरावट दर्ज की गई है. जुलाई में इसमें 2.4 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है. सांस की बीमारियों से जुड़ी दवाइयों की बिक्री 2 फीसदी गिर गई है. जून में इसमें 4.2 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी. सिर्फ पुरानी बीमारियों, जैसे हार्ट से संबंधित बीमारियों की दवाइयों की बीमारियों में इजाफा दिख रहा है. जून में इसकी दवा की बिक्री 13.9 फीसदी बढ़ थी. जुलाई में यह वृद्धि दर 13.1 फीसदी थी.


फार्मा उद्योग की ग्रोथ धीमी 


जुलाई में भारत का फार्मा उद्योग में सिर्फ 0.2 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई. इस महीने यह बढ़ कर 11,681 करोड़ रुपये पर जा पहुंचा. ग्लैक्सो स्मथिक्लाइन, एलकेम लेबोरेट्रीज और एबॉट इंडिया की बिक्री में काफी गिरावट दर्ज की गई है. जून में फार्मा मार्केट का ग्रोथ 2.4 फीसदी रहा था. फार्मा कंपनियों के वित्तीय नतीजों में इस सेक्टर के स्लोडाउन असर साफ दिख रहा है. सन फार्मा और ल्युपिन की बिक्री में गिरावट दर्ज की गई है. ल्युपिन के एमडी नीलेश गुप्ता ने कहा कि लॉकडाउन की वजह से भारतीय और अमेरिकी बाजार में इसकी दवाइयों की बिक्री को झटका लगा है. इसलिए कंपनी के तिमाही नतीजे खराब रहे हैं.


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