कोविड-19 ने भारत में इंश्योरेंस सेक्टर को तबाह कर दिया है. इंश्योरेंस कंपनियों पर क्लैम का इतना दबाव बढ़ गया है कि ज्यादातर सामान्य इंश्योरेंस कंपनियां रेड जोन में पहुंच गई हैं. इंश्योरेंस कंपनियों का मुनाफा तेजी से धड़ाम हो गया है. हेल्थ सेक्टर वाले इंश्योरेंस कंपनियों में क्लैम इतने बढ़ गए हैं कि कंपनियां क्लैम को पूरा नहीं कर पा रही है. IRDA की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2020 में जनरल इंश्योरेंस का घाटा 6.27 प्रतिशत पहुंचकर 23,720 करोड़ रुपये हो गया है. एक वर्ष पहले हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों का घाटा 568 करोड़ रुपये था लेकिन वर्तमान वित्त वर्ष में यह 14.6 प्रतिशत बढ़कर 651 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है.  


हेल्थ इंश्योरेंस सेक्टर का सबसे बुरा हाल
जनरल और हेल्थ इंश्योरेंस सेक्टर का सबसे बुरा हाल है. इन दोनों सेक्टर में पिछले वित्त वर्ष में 683 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था लेकिन इस वित्त वर्ष में यह इतना नीचे पहुंच गया है कुल 1494 करोड़ रुपये का घाटा हो गया. रिपोर्ट के मुताबिक निजी क्षेत्र के 21 जनरल इंश्योरेंस कंपनियों में 9 रेड जोन में पहुंच गई है जबकि सार्वजनिक क्षेत्र की चार कंपनियां भी जबर्दस्त घाटे का शिकार हुई है.




इस घाटे के कारण हाल यह हुआ है कि इस वित्त वर्ष में पब्लिक सेक्टर की जनरल इंश्योरेंस कंपनियां, एकल हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियां और विशेष इंश्योरेंस कंपनियां अपने शेयरधारकों को मुनाफा नहीं देने का फैसला किया है. हालांकि इन सबकी तुलना में लाइफ इंश्योरेंस कंपनियां पिछले साल मुनाफे में थी लेकिन कोविड के कारण इन कंपनियां में भी क्लेम का लोड बढ़ गया है जिसके कारण इस साल मुनाफा होने की उम्मीद बहुत कम है. चूंकि कोरोना से मौत का आंकड़ा भी बढ़ गया है, इसलिए इस साल इसमें घाटा होने की पूरी आशंका है. 


अभी कई क्लेम बाकी 
देश में कोरोना से हाहाकार मचा है. हर दिन चार हजार के करीब लोग मर रहे हैं. 2.1 करोड़ लोग अब तक कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं और 230,168 लोगों की मौत हो चुकी है. इसलिए इंश्योरेंस सेक्टर का खस्ताहाल होना तय है.


5 मई 2021 तक जनरल इंश्योरेंस कंपनियों के पास क्लैम के 11.39 लाख केस आ चुके हैं. यह 15988 करोड़ रुपये है. इनमें से कंपनियों ने 9.51 लाख क्लेेम का सैटल कर दिया है. इनमें 9144 करोड़ रुपये दे चुकी है. अब भी 1.87 लाख केस पेंडिंग है जिसमें 6848 करोड़ रुपये का क्लेम है. जनरल इंश्योरेंस कंपनियां करीब 47898 केसेज को रिजेक्ट कर दिया है. जनरल इंश्योरेंस काउंसिल के महासचिव ABP News को बताया कि इंश्योरेंस कंपनियों का घाटा बढ़ता ही जा रही है. कई खातों को अभी बंद किया जाना है. क्लैम आसमान पर पहुंच गया है. हमें अस्पताल से डिस्चार्ज के 60 दिनों के अंदर क्लैम को देना होता है. इसलिए कई क्लेम भी आना बाकी है.