कोरोना संक्रमण का असर भारत की इकनॉमी पर लंबे समय तक रहेगा. सरकार की ओर से कम राहत उपायों की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था लंबे समय तक कम ग्रोथ रेट दर्ज करती रहेगी. ऑक्सफोर्ड इकनॉमिक्स का कहना है कि कोरोना संक्रमण के असर के तौर पर देश की इकनॉमी 2020-25 के दौराना सालाना औसतन 4.5 फीसदी की दर से बढ़ेगी, जबकि कोरोना संक्रमण से पहले इसके 6.5 फीसदी की दर से बढ़ने का अनुमान लगाया जा रहा था.
'सरकार के कमजोर कदम ने बढ़ाया संकट'
ऑक्सफोर्ड इकनॉमिक्स का कहना है कोरोना संक्रमण के बाद सरकार ने इकनॉमी को पटरी पर लाने के लिए कम वित्तीय उपाय किए हैं. इसका इकनॉमी पर नकारात्मक असर पड़ेगा. इससे भारत की ग्रोथ जो पहले 6.5 की दर से होनी थी वह घट कर 4.5 फीसदी पर आ जाएगी. अप्रैल-जून तिमाही में भारत की जीडीपी में 23.9 फीसदी की भारी गिरावट आई है. कई एजेंसियों ने जुलाई-सितंबर तिमाही में अर्थव्यवस्था में दस फीसदी की गिरावट का अनुमान लगाया है. ऑक्सफोर्ड इकनॉमिक्स में इंडिया एंड साउथ ईस्ट एशिया इकोनॉमिक्स की हेड प्रियंका किशोर का कहना है कि कोरोनावायरस से चोट खाई अर्थव्यवस्था और संक्रमण रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था को लंबे समय तक चुनौतियों जूझना होगा.
' राहत पैकेज जीडीपी के 5 फीसदी के बराबर हो '
भारतीय अर्थव्यवस्था 2020 से पहले ही धीमी हो गई थी. कॉरपोरेट कंपनियों का घटते मुनाफे, बैंकों की एनपीए की समस्या, एनबीएफसी संकट और बेरोजगारी की वजह से चुनौतियां और बढ़ेंगी. उनका कहना है कि अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए बेहतर तरीके से तैयार पर्याप्त राहत पैकेज अहम भूमिका निभा सकता था. इसे संक्रमण का अर्थव्यवस्था पर असर कम करने में मदद मिल सकती थी लेकिन इस मोर्चे पर भारत सरकार का कदम असरदार साबित नहीं हुआ है. ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स का कहना है कि अगली चार तिमाहियों में अगर राहत पैकेज को बढ़ा कर जीडीपी का पांच फीसदी किया जाए और अतिरिक्त सपोर्ट दिया जाए तो 2021 में जीडीपी में 19 लाख करोड़ रुपये का इजाफा हो सकता है.
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