Credit Suisse की वैश्विक इकोनॉमी पर चेतावनी! कहा, 'अर्थव्यवस्था में सबसे खराब फेज आना अभी बाकी'
World Economy: आगे क्रेडिट सुइस ने कहा कि लगातार कई बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के केंद्रीय बैंकों ने अपने यहां महंगाई पर लगाम लगाने के लिए ब्याज दरों में बहुत तेजी से इजाफा किया है.
Credit Suisse on World Economy: ब्रोकरेज फर्म क्रेडिट सुइस (Credit Suisse) ने विश्व की इकॉनमी को लेकर अपनी रिपोर्ट में कई चिंता जनक दावे किए हैं. क्रेडिट सुइस के अनुसार आने वाला वक्त में विश्व अर्थव्यवस्था के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण हो सकता है. पूरी दुनिया में मांग कम हो रही है, इसके साथ ही डॉलर (Dollar) की मजबूती उभरती अर्थव्यवस्थाओं पर बहुत बुरा असर डाल सकती है. इस कारण उभरती अर्थव्यवस्थाओं पर दबाव ज्यादा बढ़ेगा और आने वाले वक्त में देशों में महंगाई और ज्यादा बढ़ सकती है. इसके साथ ही फर्म ने कहा कि आने वाले वक्त में सभी देशों के केंद्रीय बैंकों का रोल बहुत अहम होगा.
केंद्रीय बैंकों की ब्याज दर बढ़ाने से GDP पर पड़ेगा बुरा प्रभाव
आगे क्रेडिट सुइस ने कहा कि लगातार कई बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के केंद्रीय बैंकों ने अपने यहां महंगाई पर लगाम लगाने के लिए ब्याज दरों में बहुत तेजी से इजाफा किया है. इसका सीधा असर देशों की GDP पर पड़ेगा. गौरतलब है कि कोरोना महामारी (Covid-19 Pandemic) और रूस यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine War) के बाद से विश्व की लगभग हर बड़ी इकॉनमी बहुत ज्यादा दबाव में हैं.
अमेरिका, यूरोप, चीन और भारत जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाएं पर महंगाई के कारण बहुत बुरा असर पड़ रहा है. महंगाई पर लगाम लगाने के लिए विश्व के केंद्रीय बैंकों ने साल 1979 के बाद से सबसे तेज गति से ब्याज दरों में इजाफा किया है. इसका सीधा असर वैश्विक जीडीपी पर पड़ सकता है. पहले यह अनुमान लगाया जा रहा था कि वैश्विक जीडीपी साल 2022 में 2.6% रहेगी, लेकिन अब इसकी 1.6% रहने की संभावना है.
यूरोप और यूके में मंदी की संभावना
आपको बता दें कि यूरोजोन में आने वाले 19 देशों में महंगाई हाहाकार मचा रही है. पहली बार यूरोपीय देशों में मुद्रास्फीति दर 10% (Inflation in Europe) के पार पहुंच गई है. इससे इस इलाके में आर्थिक मंदी की संभावना और बढ़ गई है. शुक्रवार को जारी हुए यूरो स्टेट डेटा के अनुसार सितंबर में यूरोपीय देशों में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (Consumer Price Index) पहली बार डबल डिजिट में यानी 10% के पार चला गया.
वहीं अगस्त महीने की बात करें तो यूरोप में महंगाई दर 9.1% थी. यूके में भी महंगाई से आम लोगों की जीना मुश्किल हो गया है. ऐसे में यह संभावना जताई जा रही है कि यूरोपियन सेंट्रल बैंक और बैंक ऑफ इंग्लैंड अपनी ब्याज दरों में इजाफा कर सकता है.
अमेरिका और भारत में भी महंगाई से बुरा हाल
यूरोप के अलावा अमेरिका में भी महंगाई से हाहाकार मचा हुआ है. देश में मुद्रास्फीति ने पिछले 40 सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. ऐसे में देश की मुद्रास्फीति दर (US Inflation Rate) को कंट्रोल करने के लिए अमेरिका के फेडरल रिजर्व (US Federal Reserve) ने बड़ा फैसला लेते हुए अपनी ब्याज दरों में इजाफे का फैसला किया है.
फेडरल रिजर्व (US Federal Reserve) ने ब्याज दरों में 0.75% का इजाफा किया है. इसके बाद यह 3 से 3.25% के बीच में पहुंच गया है. ध्यान देने वाली बात ये है कि साल 2008 की मंदी के बाद से अबतक का सबसे ज्यादा ब्याज दर है.
अमेरिका में भी महंगाई दर 8% है. वहीं भारत की बात करें तो यहां भी महंगाई ने आम लोगों की कमर तोड़ रही है. वहीं दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकॉनमी चीन पर भी इस समय भारी दबाव है. मार्केट में डिमांड और सप्लाई के बीच गैप और लॉकडाउन के कारण इस साल चीन की GDP 3.5% की ग्रोथ का अनुमान लगाया जा रहा है. भारत में फिलहाल खुदरा महंगाई दर 7% से ऊपर चल (Inflation in India) रही. देश में बढ़ती महंगाई को कंट्रोल करने के लिए कल रिजर्व बैंक ने लगातार चौथी बार रेपो रेट में 0.50% की बढ़ोतरी की है.
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