Crude Oil Crisis: भारत की तेल रिफाइनरियों पर खतरे की घंटी है. जनवरी से कच्चे तेल की सप्लाई पर आफत आ सकती है. संकट बड़ा गहरा है. क्योंकि इससे देश में ईंधन की जरूरत पूरी नहीं होगी. इस कारण इकोनॉमी की रफ्तार धीमी हो सकती है. भारत की तीन बड़ी तेल कंपनियों इंडियन ऑयल, हिन्दुस्तान पेट्रोलियम और भारत पेट्रोलियम का प्रबंधन आने वाले संकट को लेकर परेशान है और इसका समाधान खोजने में जुटा है.


बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, एक सूत्र ने बताया कि यह संकट यूक्रेन युद्ध के साये की जगह रूस सरकार की एक पहल के कारण है. अभी तक भारत की तेल कंपनियां स्पॉट मार्केट के जरिये कच्चे तेल का उठाव करती रही हैं. रूस सरकार स्पॉट मार्केट की जगह सीधे तेल उत्पादक कंपनियों से लांग-टर्म कांट्रैक्ट के जरिये कच्चे तेल की आपूर्ति पर जोर दे रही है.


यूक्रेन युद्ध से पहले की बन रही स्थिति


तेल कंपनियों से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि हम छह मिलियन बैरल क्रूड ऑयल भी हर दिन प्राप्त करने की स्थिति में नहीं हैं. अभी तक हम देश की रिफाइनरियों के लिए एक मिलियन बैरल क्रूड ऑयल प्रतिदिन का आयात ही रूस से सुनिश्चित कर सके हैं. जो यूक्रेन युद्ध से पहले रूस से कच्चे तेल की बिना आयात वाली स्थिति के बहुत करीब है. 


वैकल्पिक स्रोत काफी महंगे होंगे 


अधिकारियों ने बताया कि सरकारी तेल कंपनियों के लिए मध्य-पूर्व और अफ्रीका से कच्चे तेल की आपूर्ति का विकल्प उपलब्ध है. परंतु यह रूस की तुलना में काफी महंगा साबित होगा और इसका मार्जिन भी काफी कम पड़ेगा. मास्को भारत पर इस बात के लिए दबाव बना रहा है कि भारत की सरकारी तेल कंपनियां रूस की सरकारी तेल कंपनियों से लंबे समय के लिए कच्चे तेल की खऱीद का कांट्रैक्ट करे. भारत सरकार भी चाह रही है कि यहां कि सरकारी और प्राइवेट तेल कंपनियां मिलकर फायदेमंद टर्म एंड कंडीशन पर लांग टर्म कांट्रैक्ट में शामिल हो. परंतु इसे अभी लागू नहीं किया जा सका है.


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