(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Russia Ukraine War: रूस और यूक्रेन युद्ध के चलते कच्चे तेल का दाम 139 डॉलर प्रति बैरल पार, 2008 के बाद सबसे उच्चतम स्तर पर
Russia Ukraine War: ईरानी से कच्चे तेल की संभावित सप्लाई में देरी और रूस यूक्रेन युद्ध के चलते ब्रेंट क्रूड 2008 के बाद से 14 साल के उच्चतम स्तर 139.13 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया.
Crude Oil Price At Record High: रूस और यूक्रेन युद्ध ( Russia Ukraine War ) के चलते कच्चे तेल के दाम ( Crude Oil Price) अंतरराष्ट्रीय बाजार में रिकॉर्ड स्तर पर जा पहुंचा है. कच्चे तेल के दाम 2008 के बाद सबसे उच्चतम स्तर पर जा पहुंचा है. ब्रेंट क्रूड के दामों 139 डॉलर प्रति बैरल के रिकॉर्ड लेवल पर जा पहुंचा है. 2008 में कच्चे तेल की दाम ने 147 डॉलर प्रति बैरल के रिकॉर्ड स्तर को छूआ था.
14 साल के उच्चतम स्तर पर कच्चे तेल के दाम
वैश्विक बाजारों में ईरानी कच्चे तेल ( Iranian Crude Oil) की संभावित सप्लाई में देरी के कारण तेल की कीमतें 2008 के बाद से अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है. अमेरिका और यूरोपीय यूनियन रूसी तेल के आयात पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहे हैं. जिसके चलते कच्कचे तेल के दामों में ये उछाल आई है. रविवार शाम ब्रेंट 11.67 डॉलर या 9.9% बढ़कर 129.78 डॉलर प्रति बैरल हो गया, जबकि यूएस वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI) क्रूड $ 10.83, या 9.4% बढ़कर $ 126.51 हो गया. रविवार को ट्रेड के कुछ मिनटों में, दोनों बेंचमार्क जुलाई 2008 के बाद से अपने उच्चतम स्तर 139.13 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया.
185 डॉलर छूने की भविष्यवाणी
जेपी मार्गन ने भविष्यवाणी की है कि रूस के आने वाले सप्लाई अगर 2022 में पूरे साल जारी रही तो इस वर्ष कच्चे तेल का भाव 185 डॉलर प्रति बैरल के भाव को भी छू सकता है. जेपी मार्गन के विशेषज्ञों के मुताबिक रूस से आने वाले सप्लाई अगर प्रभावित होती है तो उससे प्रति दिन 3 मिलियन यानि 30 लाख बैरल कच्चे तेल की मांग पर असर पड़ेगा जो रूस द्वारा सप्लाई की जाती है.
रूस है कच्चे तेल का बड़ा उत्पादक देश
रूस यूक्रेन के बीच युद्ध को थामा नहीं गया तो कच्चे तेल के दाम और बढ़ सकते हैं जिससे भारत की मुसीबत और बढ़ेगी. दरअसल रूस दुनिया के बड़े तेल उत्पादक देशों में शामिल है. रूस यूरोप को उसके कुल खपत का 35 से 40 फीसदी कच्चा तेल सप्लाई करता है. भारत भी रूस से कच्चा तेल खरीदता है. दुनिया में 10 बैरल तेल जो सप्लाई की जाती है उसमें एक डॉलर रूस से आता है. ऐसे में कच्चे तेल की सप्लाई बाधित होने से कीमतों में और अधिक तेजी आ सकती है. फिलहाल रूस के 66 फीसदी कच्चे तेल का कोई खरीदार नहीं है.
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