Crude Oil Prices Rises Again: महंगाई की मार आम लोगों की जेब जबरदस्त पड़ने वाली है. चुनावी मजबूरियों के खत्म होने के बाद सरकारी तेल कंपनियों ने पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ाने का सिलसिला शुरू कर दिया है. लेकिन ये परेशानी आने वाले दिनों में और बढ़ने वाली है क्योंकि रूस - यूक्रेन युद्ध के चलते कच्चे तेल के दामों में तेजी थमने का नाम नहीं ले रही है. मंगलवार 22 मार्च को अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम 2.4 फीसदी की तेजी के साथ 118 डॉलर प्रति बैरल के करीब कारोबार कर रहा है. पिछले हफ्ते कच्चा तेल 100 डॉलर प्रति बैरल के नीचे जा लुढ़का. लेकिन रूस यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के चलते कच्चे तेल के दामों में फिर से बड़ी उछाल आई है. इंटरनेशनल बेंचमार्क ब्रेट क्रूड ऑयल फिर से 118 डॉलर प्रति बैरल के उपर ट्रेड कर रहा है. सोमवार को 7 फीसदी की तेजी के साथ कच्चे तेल के दाम सेटल हुए थे.
दरअसल यूरोपियन यूनियन द्वारा रूस के पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स पर बैन लगाये जाने के आसार के चलते कच्चे तेल के दामों में ये देखी जा रही है. यूरोपीय यूनियन इस हफ्ते रूस के कच्चे तेल खरीदने पर रोक लगाने पर विचार कर सकता है. पहले ही रूस पर कई प्रकार के आर्थिक प्रतिबंध लगाये जा चुके हैं. हालांकि ये फैसला लेना इतना आसान भी नहीं है.
रूस यूक्रेन के बीच युद्ध को थामा नहीं गया तो कच्चे तेल के दाम और बढ़ सकते हैं जिससे भारत की मुसीबत और बढ़ेगी. दरअसल रूस दुनिया के बड़े तेल उत्पादक देशों में शामिल है. रूस यूरोप को उसके कुल खपत का 35 फीसदी कच्चा तेल सप्लाई करता है. भारत भी रूस से कच्चा तेल खरीदता है. दुनिया में 10 बैरल तेल जो सप्लाई की जाती है उसमें एक डॉलर रूस से आता है. ऐसे में कच्चे तेल की सप्लाई बाधित होने से कीमतों में और अधिक तेजी आ सकती है.
जानकारों के मुताबिक दो वजहों से कच्चे तेल के दामों में तेजी है. पहला रूस-यूक्रेन युद्ध तो दूसरी वजह है चीन में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामले. रूस और यूक्रेन के अधिकारी आपस में मिल रहे हैं तो इस बातचीत बेनतीजा साबित हो रहा है. यूक्रेन के राष्ट्रपति तीसरे विश्वयुद्ध की आशंका जाहिर कर रहे हैं इसलिए भी कच्चे तेल के दामों में उबाल है.
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