नई दिल्लीः कोरोना वायरस के कारण जहां दुनिया भर में गतिविधियां ठप हैं, यातायात पर ब्रेक लगा हुआ है, ऐसे में मांग बेहद कम होने से पेट्रोल-डीजल की डिमांड पर भारी असर हुआ है. इसके असर से कच्चे तेल की कीमतों में भी बेतहाशा गिरावट आई है.


क्यों आई कच्चे तेल में भारी गिरावट
6 मार्च को ओपेक देशों के बीच कच्चे तेल के उत्पादन पर लगी बंदिशों को आगे बढ़ाने को लेकर सहमति नहीं बन पाई थी जिसकी वजह से अप्रैल से कच्चे तेल के उत्पादन पर लगी बंदिशें पूरी तरह खत्म हुई थीं. क्रूड उत्पादन में तेजी आने और दुनिया भर में फैले कोरोना वायरस की महामारी के चलते मांग में कमी आने से कच्चे तेल की कीमतें बेतहाशा गिरकर 18 सालों के निचले स्तर पर पहुंच गई थी.


कच्चे तेल के दाम
इस समय डबल्यूटीआई क्रूड 1.01 फीसदी की बढ़त के साथ 27.09 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है और इसके साथ ही ब्रेंट क्रूड 0.92 फीसदी की तेजी के साथ 33.97 डॉलर प्रति बैरल पर बना हुआ है.


9 अप्रैल को ओपेक देशों की बैठक संभव
पहले ये बैठक सोमवार 6 अप्रैल को होने वाली थी लेकिन अब कहा जा रहा है कि ओपेक देशों की बैठक 9 अप्रैल यानी गुरुवार को हो सकती है और इसमें मौजूदा हालात को देखते हुए क्रूड उत्पादन की कटौती पर बातचीत हो सकती है. संभावना जताई जा रही है कि इस बैठक में रूस और सऊदी अरब के बीच क्रूड उत्पादन में कटौती को लेकर कोई समझौता हो सकता है.


ये भी पढ़ें

कोरोना वायरस का असरः एक लाख लोगों ने EPF से पैसा निकालने के लिए आवेदन दिए