Crude Oil Price: कच्चा तेल 70 डॉलर/बैरल के नीचे फिसला, आ गया पेट्रोल-डीजल के दाम घटाकर महंगाई कम करने का मौका
Petrol-Diesel Price: जून 2024 मॉनिटरी पॉलिसी में आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने वैश्विक तनाव के चलते कच्चे तेल की कीमतों में उठापटक पर चिंता जाहिर की थी. लेकिन कीमतों में कमी बड़ा अवसर लेकर आया है.
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Crude Oil Price: भारत के लिए राहत की खबर है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम घटकर 70 डॉलर प्रति बैरल के नीचे जा फिसला है. दिसंबर 2023 के बाद से पिछले नौ महीने में कच्चे तेल के दामों का ये सबसे निचला स्तर है. डब्ल्युटीआई क्रूड (WTI Crude) 70 डॉलर प्रति बैरल के नीचे 69.68 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है जबकि ब्रेंट क्रूड ऑयल (Brent Crude Oil) 73 डॉलर प्रति बैरल के करीब ट्रेड कर रहा है. भारत अपने खपत का 80 फीसदी से ज्यादा कच्चा तेल आयात करता है.
क्यों गिरे कच्चे तेल के दाम?
कच्चे तेल की डिमांड में कमी की आशंका के चलते कच्चे तेल के दामों में ये गिरावट देखने को मिली है. खासतौर से चीन के आर्थिक सुस्ती के चलते डिमांड घटने की आशंका है. वहीं लीबिया से कच्चे तेल के एक्सपोर्ट शुरू होने की उम्मीदों के चलते भी कच्चे तेल के दामों में ये गिरावट आई है. लीबिया की विरोधी सरकारों के बीच विवाद के बाद वहां ऑयल फील्ड को बंद कर दिया गया था और एक्सपोर्टल टर्मिनल्स भी बंद हो गए थे. लेकिन लीबिया सेंट्रल बैंक के गवर्नर की नियुक्ति की डील के बाद ये विवाद सुलझने के आसार के बाद सप्लाई शुरू होने की संभावना है. वहीं ये माना जा रहा है कि ओपेक देश कच्चे तेल के प्रोडक्शन में कटौती के फैसले पर फिर से विचार कर सकती है. इन सभी कारणों के चलते कच्चे तेल की सप्लाई बढ़ने के संभावना के चलते इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल की कीमतें घटी है.
सरकारी तेल कंपनियों की बल्ले-बल्ले!
कच्चे तेल के दामों में आई बड़ी गिरावट से सरकारी तेल कंपनियों को जोरदार फायदा होगा. उन्हें सस्ते में क्रूड ऑयल मिलेगा. लेकिन उपभोक्ताओं को इसका फायदा मिलेगा या नहीं ये बड़ा सवाल है. अगस्त 2024 में सरकारी तेल कंपनियों को पेट्रोल बेचने पर 9.3 रुपये प्रति लीटर और डीजल बेचने पर 7.6 रुपये प्रति लीटर का मुनाफा हो रहा था जिसके अब बढ़कर 14 रुपये और 13 रुपये प्रति लीटर तक बढ़कर होने के आसार हैं. ऐसे में मौजूदा वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही जुलाई से सितंबर के बीच सरकारी तेल कंपनियों को जोरदार मुनाफा होने की उम्मीद है. लेकिन उपभोक्ताओं के हाथ कुछ लगेगा ये कहना कठिन है.
ऐसे मिल सकती है महंगाई से राहत!
कच्चे तेल के दामों में ये गिरावट लंबे समय तक जारी रही तो सरकार पर पेट्रोल डीजल के दामों में कमी करने का दबाव बढ़ सकता है. खासतौर से डीजल के दामों में कमी का दबाव बढ़ सकता है जिससे माल ढुलाई सस्ती हो सकती है. इसका सीधा असर खाने-पीने की वस्तुओं की कीमतों पर पड़ेगा जिसने आरबीआई की चिंता बढ़ा रखी है. उच्च महंगाई दर ब्याज दरों के कटौती के रास्ते में सबसे बड़ी बाधा बनी हुई है. पेट्रोल-डीजल के दामों में कटौती से महंगाई से निपटने में मदद मिल सकती है जिससे ब्याज दरों में कटौती का रास्ता तैयार हो सकता है.
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