Crude Price At 7 Years High: कच्चे तेल के दामों में 25 फीसदी से ज्यादा के उछाल के बावजूद पेट्रोल डीजल के दामों में इजाफा नहीं हुआ है इसके लिए आपको पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव का शुक्रगुजार होना चाहिए. वर्ना देश के लोगों पर महंगाई का करंट लगना तय था. हालांकि ये राहत केवल 10 मार्च 2022 नतीजों के आने तक के लिए है उसके बाद पेट्रोल डीजल के दामों में बढ़ोतरी होना लाजिमी है. 


100 डॉलर पार जाएगा कच्चा तेल 
सरकार के दवाब के चलते सरकारी तेल कंपनियां कच्चे तेल के दामों में इजाफा होने के बावजूद पेट्रोल डीजल के दाम नहीं बढ़ा रही हैं. लेकिन चुनावों के बाद वे घाटा पूरा करने के लिए जरुर कीमतों में बढ़ोतरी करेंगी. लेकिन मुश्किल यही खत्म नहीं होती क्योंकि कच्चे तेल के दामों पर नजर रखने वाले अंतरराष्ट्रीय रिसर्च एजेंसियों की मानें तो कच्चे तेल के दाम 100 डॉलर के पार जा सकता है. Goldman Sachs के मुताबिक 2022 में कच्चे तेल के दाम 100 डॉलर प्रति बैरल को छू सकता है और 2023 में 105 डॉलर प्रति बैरल के पार जा सकता है. वहीं JP Morgan ने तो 2022 में 125 डॉलर प्रति बैरल और 2023 में 150 डॉलर प्रति बैरल तक दाम छूने की भविष्यवाणी कर रहे हैं. 


मांग के मुताबिक आपूर्ति नहीं
दरअसल मांग के बावजूद तेल उत्पादक देश कच्चे तेल का उत्पादन नहीं बढ़ा रहे जो उन्होंने कोरोना के आने के बाद 2020 में कटौती की थी. डिमांड-सप्लाई में बड़ी खाई और सप्लाई बाधित होने के चलते कच्चे तेल के दामों पर इसका असर पड़ सकता है. कजाकिस्तान और लीबिया का संकट मुश्किल बढ़ाने का कार्य कर रहा है. फिलहाल कच्चा तेल 88 डॉलर प्रति बैरल के करीब बना हुआ है. एक दिसंबर 2021 को 68 डॉलर प्रति बैरल कीमत था.  यानि 55 दिनों में कच्चे तेल के दामों में निचले स्तर से 27 फीसदी की तेजी आ चुकी है. हालांकि पेट्रोल डीजल के दामों में कोई बदलाव नहीं किया गया है. 4 नवंबर 2021 के बाद से पेट्रोल डीजल के दामों में कोई बदलाव नहीं हुआ है.


ये भी पढ़ें


Startups Share Carnage: 2021 में आईपीओ लाकर शेयर बाजार में धूम मचाने वाले स्टार्टअप कंपनियों के शेयर औंधे मुंह गिरे, निवेशक कर रहे त्राहि त्राहि


Share Market Crash: विदेशी निवेशकों की बेरुखी के चलते 5 दिनों में 3800 अंकों से ज्यादा फिसला सेंसेक्स, निवेशकों को 18 लाख करोड़ रुपये का हुआ नुकसान