Cryptocurrency News: रिजर्व बैंक की डिजिटल करेंसी जल्द आएगी, कैसे होगी क्रिप्टोकरेंसी से अलग, यहां जानें
Cryptocurrency News: रिजर्व बैंक काफी समय पहले ही अपनी डिजिटल करेंसी को लाने के बारे में संकेत दे चुका है और अब जब संसद में क्रिप्टोकरेंसी का बिल आने वाला है तो फैसला और अहम हो जाता है.
Cryptocurrency News: जैसे ही खबर आई कि निजी क्रिप्टोकरेंसी को बैन या रेगुलेट करने के लिए भारत सरकार संसद के इस शीतकालीन सत्र में बिल ला सकती है, क्रिप्टोकरेंसी की दुनिया में घबराहट फैल गई. ज्यादातर क्रिप्टो एक्सचेंज लगभग क्रैश होते हुए दिखे और सभी बड़ी क्रिप्टोकरेंसी में कल 15 फीसदी से ज्यादा की गिरावट देखी गई.
सबसे पॉपुलर क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन कल के कारोबार में ही 17 फीसदी टूट गई. अब ऐसे में एक और खबर आई है जो क्रिप्टोकरेंसी के बाजार को और परेशान कर सकती है.
RBI लाएगा अपनी डिजिटल करेंसी
लोकसभा की वेबसाइट पर क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल 2021 के बारे में जो जानकारी दी गई है उसके मुताबिक इस बिल का उद्देश्य देश में निजी क्रिप्टोकरेंसी के सर्कुलेशन पर रोक लगाना है. इसी में ये बात दी गई है कि देश का केंद्रीय बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के द्वारा एक डिजिटल करेंसी बनाने के लिए फ्रेमवर्क पर भी चर्चा इसी बिल के तहत की जाएगी.
लोकसभा की वेबसाइट पर क्या दिया है
वेबसाइट पर दिया गया है कि सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी पर लगाम लगाने या उन्हें रेगुलेट करने के लिए जो बिल लाया जाएगा उसके तहत कुछ क्रिप्टोकरेंसी को मंजूरी दी जा सकती है जिससे कि क्रिप्टोकरेंसी के इस्तेमाल और इसमें लगने वाली टेक्नोलॉजी का बेहतर इस्तेमाल किया जा सके.
क्या है CBDC या सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी का अर्थ
क्रिप्टोकरेंसी एक ऐसी करेंसी है जिसे हम छू या देख नहीं सकते यानी ये डिजिटल या वर्चुअल करेंसी है जिसे ऑनलाइन वॉलेट में ही रखा जा सकता है. ये फिजिकल मोड में नहीं होती लेकिन एक डिजिटल कॉइन के रूप में ऑनलाइन वॉलेट में रखी जा सकती है. चूंकि ये किसी सरकारी संस्था से मान्यता प्राप्त नहीं है इसलिए ये रेगुलराइज्ड भी नहीं है. लिहाजा आरबीआई एक ऐसी डिजिटल करेंसी लाएगा जो उसके द्वारा या किसी और सरकारी रेगुलेटरी संस्था द्वारा सत्यापित होगी और देश में लेनदेन के लिए कानूनी तौर पर मान्यता प्राप्त होगी.
क्या है CBDC और क्रिप्टोकरेंसी के बीच का अंतर
सीबीडीसी और क्रिप्टोकरेंसी के बीच अंतर को साफ करते हुए आरबीआई ने कहा, "सीबीडीसी एक डिजिटल या वर्चुअल करेंसी है, लेकिन यह क्रिप्टोकरेंसी की तुलना में नहीं देखी जा सकती जो पिछले एक दशक में मशरूम की तरह उग आई हैं. निजी क्रिप्टोकरेंसी एक ऐतिहासिक कॉन्सेप्ट पर आधारित है लेकिन इसका कोई आंतरिक मूल्य नहीं है. जो लोग ये दावा करते हैं कि ये सोने के समान है वो साफ तौर पर अवसरवादी दिखते हैं. क्रिप्टोकरेंसी कोई कमोडिटी नहीं है और ये कोई आंतरिक मूल्य न होने के चलते किसी कमोडिटी जैसी भी नहीं हैं. सबसे ज्यादा पॉपुलर क्रिप्टोकरेंसीज भी किसी व्यक्ति के कर्ज या देनदारियों को प्रतिनिधित्व नहीं करती हैं. ना तो इन्हें कोई जारी करने वाला है और ना ही ये पैसा हैं, निश्चित तौर पर करेंसी तो बिलकुल नहीं हैं. ये बात अब वैश्विक तौर पर भी समझी जाने लगी है.
इन सब बातों का आखिरकार अर्थ क्या है
सारी बातों को मतलब ये ही है कि क्रिप्टोकरेंसी और सीबीडीसी में एक मूल फर्क है जो सबसे अहम है. वो ये है कि सीबीडीसी को एक केंद्रीय बैंक द्वारा मान्यता मिली होगी और क्रिप्टोकरेंसी को नहीं. एक रेगुलेटेड करेंसी ना होने के चलते क्रिप्टोकरेंसी का गलत इस्तेमाल होने के काफी चांस है जैसे मनी लॉन्ड्रिंग या टेरर फंडिंग में इसका यूज हो सकता है.
ये भी पढ़ें
PMGKAY: जानें प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को जिसमें 80 करोड़ लोगों को मिलता है मुफ्त अनाज
Personal Loan, Credit Card और BNPL-आपकी जरूरतों के लिए कौनसा ऑप्शन है सही, जानें