अगली बार मिले सैलरी तो इस तरह से चेक करें स्लिप, इन-इन चीजों पर कंपनी करती है डिडक्शन
CTC vs In hand salary: टेक होम सैलरी और सीटीसी में इसलिए अंतर होता है क्योंकि सैलरी के रूप में आपको जितना पैसा मिलता है, उसमें कई तरह के डिडक्शंस होते हैं.
CTC vs In hand salary: पे स्केल को सैलरी स्ट्रक्चर के रूप में जाना जाता है, जिससे यह पता चलता है कि कर्मचारी को काम के बदले किसी कंपनी या संस्थान से कितने पैसे मिलने हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि कंपनी संग जुड़ने से पहले मिलने वाले पेपर्स में सैलरी जितनी लिखी होती उससे कम क्यों मिलता है ? इन हैंड सैलरी और CTC में क्या अंतर होता है? आज हम आपको इन्हीं चीजों के बारे में बताने जा रहे हैं ताकि अगली बार अपनी सैलरी स्लिप चेक करते वक्त आपको इससे जुड़ी चीजें समझने में आसानी हो.
बेसिक सैलरी
बेसिक सैलरी वह न्यूनतम राशि है, जो काम के बदले कंपनी या एम्प्लॉयर की ओर से आपको दी जाती है. इसमें HRA, बोनस, ओवरटाइम और टैक्स में होने वाले डिडक्शन को शामिल नहीं किया जाता है.
हाउस रेंट अलाउंस (HRA)
हाउस रेंट अलाउंस (House rent allowance) भी सैलरी स्ट्रक्चर का एक अहम हिस्सा होता है. यह एक तरह का भत्ता है, जो एम्प्लॉयर कर्मचारियों को घर का किराया चुकाने के लिए देता है. हालांकि, यह रकम टैक्सेबल है, लेकिन किराए के घर में रह रहे लोग इस पर टैक्स बेनिफिट ले सकते हैं. HRA पर टैक्स छूट का लाभ उठाने के लिए मकान मालिक से किराए की रसीद जरूर लें. आमतौर पर मूल वेतन के 40-50 फीसदी हिस्से को HRA के रूप में निर्धारित किया जाता है. हालांकि, HRA मिलने वाला व्यक्ति अगर अपने खुद के मकान में रहता है, तो उसे अलाउंस का लाभ नहीं मिल पाता है और यह पूरी राशि टैक्स के दायरे में चली जाती है.
लीव ट्रैवल अलाउंस
डोमेस्टिक ट्रैवल के लिए कंपनी कर्मचारियों को यह सुविधा देती है. इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 10(5) के तहत कर्मचारी ट्रैवल के दौरान हुए खर्च पर लगे टैक्स पर छूट का दावा कर सकते हैं. हालांकि, छूट का दावा चार सालों के ब्लॉक में किए गए दो ट्रैवल पर ही कर सकते हैं. LTA पर छूट क्लेम करने के लिए कर्मचारी को होटल बिल, बोर्डिंग पास, ट्रेन टिकट जैसी चीजें एम्प्लॉयर के पास जमा करानी पड़ती है और साथ ही फॉर्म 12BB भरकर भी देना होता है.
स्पेशल अलाउंस
यह एक तरह का रिवॉर्ड है, जो कर्मचारियों को प्रोत्साहित करने के लिए दिया जाता है.
मोबाइल और इंटरनेट अलाउंस
इसमें काम के सिलसिले में इंटरनेट और मोबाइल पर हुआ खर्च शामिल है. इसके तहत कंपनी बिल का रीइम्बर्समेंट कर देती है. हालांकि, इसमें भी एक लिमिट तक कंपनी कोई बिना कोई टैक्स काटे बिल पर किए खर्च का भुगतान कर देती है.
फूड अलाउंस
ड्यूटी के दौरान कर्मचारी ने खाने-पीने की चीजों पर जितना खर्च किया है वह इस अलाउंस के तहत शामिल है.
कंवेंस अलाउंस
इसमें घर और ऑफिस के बीच आने-जाने का खर्च शामिल है.
प्रोफेशनल टैक्स
यह राज्य सरकारों की तरफ से एक लिमिट से अधिक कमाई करने वालों पर लगाया जाता है.
कर्मचारी भविष्य निधि (EPF)
यह एक रिटायरमेंट सेविंग्स स्कीम है, जिसमें कर्मचारी और एम्प्लॉयर दोनों 12 फीसदी कंट्रीब्यूट करते हैं.
टीडीएस (टैक्स डिडक्शन एट सोर्स)
इसमें इनकम के आधार पर सैलरी से डिडक्शन किया जाता है, जिसका उपयोग सरकार नागरिकों से टैक्स जुटाने के लिए करती है.
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