Current Account Deficit: देश का चालू खाते का घाटा (कैड) वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में बढ़कर 23.9 अरब डॉलर रहा. यह सकल घरेलू उत्पाद का 2.8 फीसदी है. मुख्य रूप से व्यापार घाटा बढ़ने से कैड बढ़ा है. बीते वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में देश का चालू खाते का अधिशेष 6.6 अरब डॉलर था जो जीडीपी का 0.9 फीसदी है.


पिछले साल की समान तिमाही के मुकाबले बढ़ा CAD
भारतीय रिजर्व बैंक के 2022-23 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) के भुगतान संतुलन के आंकड़ों के मुताबिक, चालू खाते के मोर्चे पर 23.9 अरब डॉलर का घाटा रहा जो जीडीपी का 2.8 फीसदी है. पिछले वित्त वर्ष 2021-22 की जनवरी-मार्च तिमाही में कैड 13.5 अरब डॉलर यानी जीडीपी का 1.5 फीसदी था.


वस्तु व्यापार घाटा बढ़ने से बढ़ा चालू खाता घाटा
आरबीआई ने कहा, "चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में कैड बढ़ने का कारण वस्तु व्यापार घाटे का बढ़ना और शुद्ध रूप से निवेश आय भुगतान अधिक होना है. वस्तु व्यापार घाटा 2022-23 की पहली तिमाही में 68.6 अरब डॉलर रहा, जबकि 2021-22 की चौथी तिमाही में यह 54.5 अरब डॉलर था." उसने यह भी कहा कि कंप्यूटर और व्यापार सेवाओं के निर्यात में वृद्धि के कारण शुद्ध सेवा प्राप्ति तिमाही और सालाना दोनों आधार पर बढ़ी है.


आरबीआई के आंकड़ों से क्या पता चला
आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक, निजी अंतरण प्राप्ति 2022-23 की पहली तिमाही में 25.6 अरब डॉलर रही, जो एक साल पहले इसी अवधि की तुलना में 22.6 फीसदी अधिक है. यह मुख्य रूप से विदेशों में काम कर रहे भारतीय द्वारा भेजे जाने वाला धन यानी मनीऑर्डर है. वित्तीय खाते में शुद्ध प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बढ़कर 13.6 अरब डॉलर रहा जो एक साल पहले इसी अवधि में 11.6 अरब डॉलर था.


डॉलर की निकासी बढ़ी
आंकड़ों के मुताबिक, शुद्ध विदेशी पोर्टफोलियो निवेश के अंतर्गत 14.6 अरब डॉलर की निकासी हुई जबकि 2021-22 की पहली तिमाही में 40 करोड़ डॉलर का शुद्ध प्रवाह हुआ था. वहीं प्रवासी जमा के तहत शुद्ध प्रवाह 2022-23 की पहली तिमाही में 30 करोड़ डॉलर रहा, जो 2021-22 की इसी तिमाही में 2.5 अरब डॉलर था. चालू खाते का घाटा भुगतान संतुलन की स्थिति को बताने वाला प्रमुख संकेतक है. चालू खाते में वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात और आयात और अंतरराष्ट्रीय अंतरण शामिल है.


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