केंद्र सरकार मौजूदा मुद्रास्फीति बैंड को अगले पांच साल तक बरकरार रख सकती हैं. वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के बीच हुए विचार-विमर्श के बाद इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि, केंद्र सरकार अगले पांच साल तक मध्य अवधि मुद्रास्फीति का लक्ष्य 4 प्रतिशत और मुद्रास्फीति बैंड 2-6 फीसदी पर बनाए रख सकती है. केंद्र सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को इस बात की जानकारी दी.


आरबीआई ने वर्ष 2020-21 के लिए मुद्रा और वित्त पर एक रिपोर्ट में मौजूदा मुद्रास्फीति लक्ष्य को बनाए रखने का समर्थन किया था. सरकार के अधिकारी ने बताया कि, "हमने मुद्रास्फीति लक्ष्य को लेकर आरबीआई की राय पर विचार किया. इसके मौजूदा ढांचे ने पिछले पांच सालों में सरकार को काफी फायदा दिया है और आगे भी इसको बरकरार रखना फायदेमंद साबित होगा." केंद्र सरकार और आरबीआई के बीच मुद्रास्फीति लक्ष्य के वर्तमान ढांचे को लेकर अगस्त 2016 में करार हुआ था जो इसी महीने समाप्त हो रहा है. दोनों के बीच अगले पांच साल के मुद्रास्फीति लक्ष्य को लेकर जल्द करार हो सकता है.


सरकार के पास था मुद्रास्फीति बैंड बढ़ाने का विकल्प


सरकार के पास मौजूदा मुद्रास्फीति बैंड में वृद्धि का भी प्रस्ताव था. कोरोना महामारी के चलते विकास दर पर काफी असर पड़ा है और जिसके चलते ऐसा माना जा रहा था कि मुद्रास्फीति बैंड में इजाफा किया जा सकता है. हालांकि आरबीआई इसके समर्थन में नहीं था, जिसका मानना है कि ऐसा करने पर मुद्रास्फीति लक्ष्य कमजोर पड़ जाएगा. अब मोनेटरी पॉलिसी कमिटी (MPC) सरकार और आरबीआई के मध्य हुए करार के अनुसार मुद्रास्फीति को वर्तमान बैंड के अंदर बनाए रख सकती है.


यदि MPC लगातार तीन तिमाही तक मुद्रास्फीति को इस बैंड में रखने में असफल होती है तो आरबीआई गवर्नर को संसद में लिखित में ये बताना होगा कि, ये क्यों असफल हुई और इसको कारगर बनाने के लिए क्या उपाय करने होंगे. गौरतलब है कि, आरबीआई गवर्नर की अगुवाई में ये छह सदस्यीय MPC मुद्रास्फीति बैंड के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए मॉनेट्री पॉलिसी पर काम करती है.


यह भी पढ़ें 


MTAR Technologies को निवेशकों का थम्ब्स अप, IPO हुआ 200 गुना से ज्यादा सब्सक्राइब


महामारी के रुख में ठहराव, भारतीय इकोनॉमी में गिरावट अनुमान से कम रह सकती है: वित्त मंत्रालय