तेजी से डिजिटल हो रही इकोनॉमी में फ्रॉड होने के खतरे भी बढ़ रहे हैं. बीते कुछ सालों के दौरान फाइनेंशियल फ्रॉड के मामलों में तेजी आई है. एक हालिया रिपोर्ट बताती है कि बीते तीन सालों के दौरान लगभग हर दूसरे शहरी भारतीय के साथ किसी न किसी तरह से वित्तीय धोखाधड़ी हुई है.
लोकल सर्किल्स के सर्वे में खुली बात
लोकल सर्किल्स ने एक सर्वे के आधार पर फ्रॉड पर रिपोर्ट तैयार की है. सर्वे में 47 फीसदी शहरी भारतीयों ने कहा कि पिछले 3 सालों के दौरान वे खुद या उनके परिवार का कोई न कोई व्यक्ति फाइनेंशियल फ्रॉड का शिकार हुआ है. मजेदार है कि फ्रॉड में सबसे ज्यादा मामले क्रेडिट कार्ड से जुड़े हुए हैं. सर्वे के अनुसार, बीते 3 सालों में 43 फीसदी लोगों के साथ क्रेडिट कार्ड से जुड़े फ्रॉड हुए हैं, जबकि 30 फीसदी ने यूपीआई से फ्रॉड का सामना किया है.
सबसे ज्यादा हो रहे ऐसे फ्रॉड
यूपीआई से फ्रॉड के मामलों में ज्यादातर वैसे हैं, जिनमें लोगों को पेमेंट एक्सेप्ट करने के लिए लिंक या क्यूआर कोड भेजे गए. हालांकि उनके पास पेमेंट आने के बजाए उनके अकाउंट से ही पैसे काट लिए गए. ऐसे लोगों का हिस्सा हर 10 में से 4 का है. वहीं क्रेडिट कार्ड के मामले में सर्वे में शामिल हर 2 में से 1 लोगों ने बताया कि डोमेस्टिक या इंटरनेशनल वेबसाइट अथवा मर्चेंट के द्वारा अनाधिकृत पैसे काटे गए.
इस कारण शिकार बन रहे हैं लोग
सर्वे में सामने आई बात इस कारण चिंताजनक हो जाती है क्योंकि आज के समय में साइबर फ्रॉड बेहद आम हो गए हैं. हर रोज बड़ी संख्या में साइबर अपराधी लोगों की गाढ़ी कमाई को चपत लगा रहे हैं. किसी के साथ लोन के नाम पर तो किसी के साथ लॉटरी के नाम पर फ्रॉड हो रहा है. लोग डर और लोभ के चलते आसानी से अपराधियों के शिकार बन जा रहे हैं.
हजारों वेंडर बेच रहे हैं डेटा
एक रिपार्ट बताती है कि भारतीय क्रेडिट कार्ड यूजर्स का डेटा आसानी से उपलब्ध हो जा रहा है. देश भर में हजारों वेंडर क्रेडिट कार्ड यूजर्स का डेटा बेच दे रहे हैं और वह डेटा साइबर अपराधियों के हाथ लग जा रहा है. सर्वे के अनुसार, लोगों को फ्रॉड से बचाने के लिए उन्हें जागरूक करने के जरूरत है. क्रेडिट कार्ड क मामले में ये प्रावधान होना चाहिए कि बिना ओटीपी के कोई ट्रांजेक्शन नहीं हो, जबकि यूपीआई के मामले में आरबीआई, एनपीसीआई और बैंकों को सुरक्षा के अतिरिक्त उपाय करने चाहिए.
ये भी पढ़ें: एनएसई प्रमुख ने किया सावधान, इस तरह के सौदों से दूर रहें खुदरा निवेशक