नई दिल्लीः टाटा संस के बर्खास्त चेयरमैन साइरस मिस्त्री ने अपनी बर्खास्तगी को लेकर 14 पन्नों का एक प्रस्ताव किया जारी किया है. मिस्त्री को विभिन्न कंपनियों के निदेशक बोर्ड से हटाने को लेकर बुलायी गयी शेयरधारकों की अतिसाधारण बैठक यानी ईजीएम के ऐन पहले ये प्रस्ताव जारी किया गया है. ये प्रस्ताव मिस्त्री को टाटा संस के साथ साथ समूह की विभिन्न कंपनियों के चेयरमैन पद और निदेशक पद से हटाए जाने के कदम के खिलाफ लाया गया है. टीसीएस ने मिस्त्री को बतौर निदेशक हटाने के लिए 13 दिसम्बर को शेयरधारकों की अतिसाधारण बैठक यानी ईजीएम बुलाई है.


रतन टाटा और टाटा ट्रस्ट्र पर सीधे सीधे हमला बोलते हुए मिस्त्री ने कहा कि टाटा समूह किसी की व्यक्तिगत जागीर नहीं है. यह किसी एक व्यक्ति का नहीं है और न ही टाटा ट्रस्ट के ट्रस्टियों का है. मिस्त्री ने कहा कि "टाटा समूह एक मोड़ पर आ खड़ा हुआ है. उन्हें बिना किसी वजह से बर्खास्त किया गया है. उन्होंने जो कुछ भी किया कंपनी के भले के लिए किया". किसी बड़े बदलाव में कोई खास व्यक्ति ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं होता लेकिन मिस्त्री ने आरोप लगाया है कि रतन टाटा को वापस लाने के लिए कंपनी की सेवानिवृर्ति के नियमो में फेरबदल किया गया है. नियम के मुताबिक, टाटा समूह में कोई निदेशक 75 वर्ष से ज्यादा की उम्र का नहीं हो सकता, रतन टाटा अब 79 वर्ष के लिए हो रहे हैं.


मिस्त्री ने सरकार से टाटा ट्रस्ट के कामकाज में दखल की मांग भी की है. टाटा ट्रस्ट की टाटा संस में करीब 66 फीसदी हिस्सेदारी है और विभिन्न ट्रस्ट के मुखिया रतन टाटा हैं. मिस्त्री ने आगे कहा कि टाटा समूह के कामकाज में सुधार सबसे बड़ा मु्द्दा है. ऐसे में जरुरत है कि सरकार टाटा ट्रस्ट में कायदे कानून के मुताबिक कामकाज सुनिश्चित करे. टाटा ट्रस्ट का स्वरुप पब्लिक चैरिटेबल संगठन की तरह है.