नई दिल्ली: टाटा संस द्वारा साइरस मिस्त्री को टाटा स्टील के निदेशक पद से हटाने की कोशिशों के बीच साइरस मिस्त्री ने कंपनी के प्रमुख के रूप में अपनी भूमिका और खास कर कंपनी के घाटे में चल रहे यूरोपीय कारोबार से निपटने के अपने तरीके का बचाव किया.


मिस्त्री ने कहा कि टाटा समूह ने टाटा स्टील यूरोप के परिचालन में जो भारी पूंजी लगाई है, उस पर घाटा होना समूचे टाटा ग्रुप के समक्ष जोखिम भरा है. गौरतलब है कि मिस्त्री टाटा समूह की धारक कंपनी टाटा संस और विभिन्न कारोबारी कंपनियों के चेयरमैन पद से हटाए जा चुके हैं और अब उन्हें कंपनियों के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स से हटाने का प्रस्ताव है. उन्होंने इन आरोपों को खारिज किया कि उनके नेतृत्व में टाटा स्टील के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने ब्रिटेन के निवेश को छोटी अवधि के नफे-नुकसान के चश्मे से देखा. उन्होंनें कहा कि यह सच से काफी दूर है.


टाटा स्टील की असाधारण आम बैठक से पहले निदेशक मंडल को लिखे पत्र में मिस्त्री ने कहा कि इस कदम का एकमात्र आधार उन्हें टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाना है जिसकी शुरुआत ही गैरकानूनी है. यह बैठक 21 दिसंबर को होनी है और इसमें मिस्त्री को कंपनी के निदेशक मंडल से हटाने के प्रस्ताव पारित कराया जाना है. उन्होंने कहा है कि ऐसी बातें केवल उन्हें टाटा संस के चेयमैन पद से हटाने के संबंध में की जा रही है. मिस्त्री ने कहा है कि उन्हें टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाना गैरकानूनी है.


वहीं टाटा संस ने साइरस मिस्त्री के उन आरोपों का जोरदार खंडन किया कि कंपनी का प्रबंधन करने वाले ट्रस्टों के संचालन में कमियां हैं. अपने पूर्व चेयरमैन मिस्त्री पर पलटवार करते हुए कंपनी ने कहा है कि टाटा समूह के ट्रस्टों का संचालन जमशेदजी टाटा व उनके दो बेटों की व्यक्तिगत वसीयतों से होता है. इसके साथ ही कंपनी ने मिस्त्री पर कंपनियों को भारी वित्तीय नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया है. टाटा संस 100 अरब डालर के टाटा समूह की अंशधारक कंपनी है जिसके चेयरमैन पद से मिस्त्री को पिछले महीने अचानक हटा दिया गया था.


टाटा संस ने एक बयान में कहा है कि मिस्त्री के बयानों से इस औद्योगिक घराने व उनकी कंपनियों को भारी नुकसान हुआ है और ‘सभी शेयरधारकों को हजारों करोड़ रुपये का भारी वित्तीय नुकसान हुआ है. जिन कंपनियों को नुकसान हुआ है उनमें वे कंपनियां भी शामिल हैं जिनके चेयरमैन मिस्त्री अभी बने हुए हैं. टाटा संस ने एक बयान में कहा है, ‘‘ट्रस्टों का संचालन जमशेदजी टाटा, उनके बेटे सर दोराबजी टाटा व रतन टाटा और अन्य संस्थापकों की निजी वसीयतों से होता है. ये ट्रस्ट इन वसीयतों में तय उद्देश्यों का पालन कर रहे हैं.’’ यही कारण है कि विभिन्न ट्रस्ट दशकों से काम कर रहे हैं.