नई दिल्लीः साइरस मिस्त्री को आज टाटा इंडस्ट्रीज की ईजीएम यानी एक्सट्रा ऑर्डिनरी जनरल मीटिंग में निदेशक पद से हटा दिया गया. टाटा संस ने मिस्त्री को बोर्ड से हटाने के लिए टाटा ग्रुप कंपनीज के शेयरहोल्डर्स से अपील की थी. उनका तर्क था कि साइरस की बतौर डायरेक्टर मौजूदगी 'टाटा ग्रुप के टुकड़े टुकड़े कर सकती है.
टाटा इंडस्ट्रीज की ईजीएम में सोमवार सुबह को शेयरहोल्डर्स की बैठक में यह फैसला लिया गया. उन्हें पहले ही चेयरमैन पद से हटाया जा चुका है. कंपनी के चेयरपर्सन के तौर पर भी उनसे सारे अधिकार छीन लिए गए हैं. इससे पहले अक्टूबर में साइरस मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन पद से हटा दिया गया था. लेकिन फिर भी वो टाटा ग्रुप की कई कंपनियों के बोर्ड में शामिल थे.
नमक से लेकर सॉफ्टवेयर तक बनाने वाली 103 अरब डॉलर की होल्डिंग कंपनी टाटा संस के फिलहाल अंतरिम चेयरमैन रतन टाटा हैं. साइरस मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन पद से 24 अक्टूबर को हटा दिया गया था. उसके बाद से अंतरिम चेयरमैन रतन टाटा ने अपनी स्थिति मजबूत करने के इरादे से प्रमुख सूचीबद्ध कंपनियों से मिस्त्री को हटाने के लिये कदम उठाया है. पूरे दिसंबर में टाटा समूह की सूचीबद्ध कंपनियों की ईजीएम प्रस्तावित है जिसमें मिस्त्री को संबंधित कंपनियों के निदेशक मंडल से हटाने के टाटा संस के प्रस्ताव पर विचार किया जाएगा.
टाटा मोटर्स, टाटा पावर, टाटा स्टील समेत टाटा की कई कंपनियों की टाटा इंडस्ट्रीज में हिस्सेदारी है. बयान के अनुसार, ‘टाटा इंडस्ट्रीज की 12 दिसंबर 2016 को हुई असाधारण आम बैठक (ईजीएम) में कंपनी के निदेशक मंडल से साइरस मिस्त्री को हटा दिया गया. इसीलिए वह कंपनी के चेयरमैन भी नहीं रहे.’
टाटा समूह के सूत्रों ने कहा कि शापूरजी समूह के साथ ऐसा कोई समझौता नहीं है कि होल्डिंग कंपनी के निदेशक मंडल में उन्हें कोई प्रतिनिधित्व दिया जायेगा. मिस्त्री की पारिवारिक कंपनी शापूरजी समूह की हालांकि, टाटा संस में 18 फीसदी हिस्सेदारी है. टाटा संस में टाटा घराने के ट्रस्ट की हिस्सेदारी 65.29 फीसदी है.