Debit Credit Card Rule: 1 जुलाई से रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के कार्ड टोकनाइजेशन नियम लागू होने के बाद मर्चेंट और पेमेंट गेटवे को अपने सर्वर पर स्टोर किए गए कस्टमर के कार्ड का डाटा डिलीट करना होगा. इसके तहत उपयोगकर्ता को मर्चेंट वेबसाइटों पर भुगतान करने के लिए कार्ड का पूरा विवरण दर्ज करना होगा. इसका अर्थ है कि हर बार किसी ट्रांजेक्शन को करने के लिए आपको डेबिट-क्रेडिट कार्ड डिटेल को एंटर करना होगा. बैंकों ने अपने ग्राहकों को इन बदलावों के बारे में बताना शुरू कर दिया है.
पहले 1 जनवरी 2022 से लागू होने वाला था नियम
बता दें कि पहले ये नियम 1 जनवरी 2022 से लागू होने वाला था पर मर्चेंट्स और लोगों को इस व्यवस्था के लिए तैयार करने के लिए आरबीआई ने इसकी समयसीमा 1 जुलाई 2022 तक बढ़ा दी थी. अब 1 जुलाई आने में कुछ ही समय बाकी रह गया है तो बैंकों और मर्चेंट वेबसाइट्स ने इसके लिए ग्राहकों को मैसेज भेजने शुरू कर दिए हैं.
आखिर टोकनाइजेशन का मतलब क्या है
आरबीआई के कार्ड टोकनाइजेशन नियमों के लागू होने के बाद मर्चेंट और पेमेंट गेटवे को अपने सर्वर पर स्टोर किए कस्टमर के कार्ड का डाटा डिलीट करना होगा. मौजूदा नियम के मुताबिक ट्रांजकेशन 16-डिजिट कार्ड नंबर, कार्ड की एक्सपायरी डेट, सीवीवी और वन-टाइम पासवर्ड या ओटीपी बेस्ड होता है. टोकनाइजेशन वास्तविक कार्ड नंबर को एक वैकल्पिक कोड के साथ बदलने को क्षमता रखता है, जिसे 'टोकन' कहा जाता है.
इसकी जरूरत क्यों पड़ी
देश में बढ़ते डिजिटल यूज में बढ़ोतरी के साथ ज्यादा से ज्यादा लोग होटल, दुकान या कैब बुक करने के लिए ऑनलाइन पेमेंट का यूज करते हैं और कई बार कई बेवसाइट या पेमेंट गेटवे को आसान बनाने के लिए अपना कार्ड उस पर्टिकुलर साइट पर सेव कर देते हैं. हालांकि ये तरीका साइबर धोखाधड़ी को आसान बनाता है और कई बार इन डेटा के हैक होने का खतरा रहता है. इसी व्यवस्था को सुरक्षित बनाने के लिए और ऑनलाइन पेमेंट को सेफ रखने के लिए आरबीआई ने इस कार्ड टोकनाइजेशन सिस्टम को लागू करने का ऐलान किया था.
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