Go First NCLT Hearing: कर्ज संकट में फंसी विमानन कंपनी गो फर्स्ट (Go First) की परेशानियां फिलहाल समाप्त नहीं होने वाली हैं. राहत की अंतिम उम्मीद लेकर एनसीएलटी (NCLT) के पास पहुंची कंपनी को गुरुवार को निराशा हाथ लगी है. एनसीएलटी ने उसकी याचिका पर सुनवाई करते हुए अंतरिम राहत देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि आईबीसी (IBC) के तहत ऐसा कोई प्रावधान नहीं है.
एनसीएलटी की दिल्ली बेंच ने कहा कि दिवाला एवं शोधन अधिनियम के तहत अंतरिम तौर पर मोरेटोरियम का कोई प्रावधान नहीं है. अगर ट्रिब्यूनल याचिका को स्वीकार करती है तो सिर्फ एब्सॉल्यूट मोरेटोरियम का प्रावधान है. इसका मतलब हुआ कि अगर एनसीएलटी याचिका स्वीकार करती है तो गो फर्स्ट को दिवाला प्रक्रिया से गुजरना होगा. एनसीएलटी ने यह भी सवाल किया कि अगर इंजन की दिक्कत से कंपनी के आधे विमान उड़ान नहीं भर पा रहे हैं तो यह खतरा कंपनी के उन विमानों के ऊपर भी है, जो फिलहाल उड़ान भरने के लायक हैं.
खुद एनसीएलटी के पास गई कंपनी
वाडिया समूह की विमानन कंपनी ने गंभर कर्ज संकट के बीच एनसीएलटी से राहत की गुहार लगाई थी. इसके लिए कंपनी ने खुद से इन्सोल्वेंसी की याचिका दायर करते हुए राहत की मांग की थी. कंपनी ने याचिका में कहा था कि वह अपनी वित्तीय देनदारियों का बोझ उठाने में असमर्थ है. कंपनी अपनी असफलता का दोष इंजन सप्लायर प्रैट एंड व्हिटनी पर मढ़ रही है. उसका आरोप है कि प्रैट एंड व्हिटनी के द्वारा विमानों के इंजन की सप्लाई समय पर नहीं किए जाने के चलते 50 फीसदी विमान उड़ान नहीं भर पा रहे हैं.
विमानन यात्रियों का हो गया नुकसान
एक और घरेलू विमानन कंपनी के असफल होने से पूरे एयरलाइन सेक्टर में उथल-पुथल देखने को मिल रहा है. इस घटनाक्रम से एक ओर प्रतिस्पर्धी घरेलू विमानन कंपनियों को फायदा होने वाला है, जबकि दूसरी ओर विमानन यात्री पहले ही नुकसान में जा चुके हैं. अचानक गो फर्स्ट का परिचालन बंद होने से विमानन किराया आसमान में पहुंच गया है. इससे घरेलू यात्रियों का सफर महंगा हो गया है. आने वाले कुछ दिनों तक विमानन किराया इसी तरह बने रहने की आशंका है.
इन कंपनियों को हो सकता है लाभ
वहीं कंपनी के कोलैप्स होने से गो फर्स्ट के कर्मचारियों पर शामत आ गई है. गो फर्स्ट के साथ अभी करीब 5000 लोग काम कर रहे थे. इसमें पायलट व कैप्टन समेत चालक दल के अन्य तमाम सदस्य शामिल हैं. अब ये लोग एअर इंडिया और इंडिगो जैसी प्रतिस्पर्धी कंपनियों में नौकरी की तलाश कर रहे हैं. इस संकट से टाटा समूह की विमानन कंपनी एअर इंडिया को खासा फायदा हो सकता है, क्योंकि यह कंपनी अपने पायलटों के साथ जारी विवाद के बीच बेड़े में हो रहे विस्तार के लिए नई भर्तियां कर रही है.
गो फर्स्ट के ऊपर इतनी उधारी
गो फर्स्ट ने 17 साल पहले परिचालन की शुरुआत की थी. कंपनी के ऊपर अभी कुल 11,463 करोड़ रुपये का बकाया है. इसमें से कंपनी 3,856 करोड़ रुपये का भुगतान करने में डिफॉल्ट का सामना कर चुकी है. एनसीएलटी के समक्ष दायर याचिका में विमानन कंपनी ने बताया है कि उसके ऊपर विमान लीज देने वाली कंपनियों का 2,600 करोड़ रुपये बकाया है. वहीं 30 अप्रैल तक फाइनेंशियल क्रेडिटर्स का 6,521 करोड़ रुपये बाकी थे.
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