Debt Mutual Fund Tax: अगर आप सरकारी बॉन्ड और बैंकों के फिक्स्ड डिपॉजिट जैसे निवेश साधनों की बजाए डेट म्यूचुअल फंड में पैसा लगाना ज्यादा पसंद करते हैं तो ये खबर आपके लिए ही है. अगर आप डेट म्यूचुअल फंड में इंडेक्सेशन बेनेफिट लेना चाहते हैं तो आपको 31 मार्च 2023 तक इनमें निवेश कर लेना चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि एक अप्रैल 2023 से डेट म्यूचुअल फंड में निवेश पर इनकम टैक्स रेट्स के हिसाब से निवेश से होने वाले मुनाफे पर टैक्स देना होगा. डेट, गोल्ड या ग्लोबल फंड्स खरीदना है और उस पर इंडेक्सेशन बेनिफिट लेना है तो 31 मार्च से पहले ये काम निपटा लें.


24 मार्च को संसद में प्रस्ताव हुआ पास


दरअसल वित्त मंत्रालय ने इस तरह के म्यूचुअल फंड को अब तक मिलने वाले लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस (एलटीसीजी) को हटाने का प्रस्ताव रखा था. इस प्रस्ताव को बीते शुक्रवार 24 मार्च को वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में संसोधन के जरिए लोकसभा से मंजूरी मिल चुकी है. लिहाजा नए नियमों के बाद डेट और हाइब्रिड म्यूचुअल फंड के लिए शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म के बीच कोई अंतर नहीं रह जागा. जो निवेशक इंडेक्शन का फायदा लेना चाहते हैं वो डेट म्यूचुअल फंड्स 31 मार्च 2023 तक निवेश कर फायदा उठा सकते हैं. 


क्या है नया नियम


डेट म्यूचुअल फंड पर 1 अप्रैल 2023 से लॉन्‍ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स (LTCG) का बेनेफिट नहीं मिलेगा और इस पर सिर्फ शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस (STCG) का टैक्स लगेगा.  फिलहाल डेट फंड में लंबी अवधि में इंडेक्सेशेन बेनेफिट लेने पर 20 फीसदी LTCG और बिना इंडेक्सेशन के 10 फीसदी टैक्स लगता है. बदलाव हुआ तो टैक्स बनेफिट हट जाएंगे और निवेशक के टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लगेगा. 


क्या बदल रहा है और कैसे लगेगा ज्यादा टैक्स


संशोधनों को संसद की मंजूरी मिल चुकी है और ऐसी म्यूचुअल फंड योजनाओं के धारक जो अपनी संपत्तियों का 35 फीसदी इक्विटी शेयरों में निवेश करते हैं उन पर उनकी स्लैब के मुताबिक टैक्स लगेगा. इसका सीधा मतलब है कि  एक अप्रैल 2023 के बाद ऐसे डेट म्यूचुअल फंड्स जिसमें म्यूचुअल फंड स्कीम का इक्विटी में निवेश 35 फीसदी से ज्यादा नहीं है उसमें इनकम टैक्स रेट्स के हिसाब से टैक्स वसूला जाएगा. 


31 मार्च 2023 तक इनकम टैक्स कानून डेट म्यूचुअल फंड में होल्डिंग पीरियड के आधार पर टैक्स का नियम लागू होता है. 36 महीने से पहले डेट म्यूचुअल फंड को रिडिम करने के बाद यूनिट्स बेचने पर होने वाले बेनेफिट पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स लगता है. हालांकि 36 महीने से ज्यादा होल्डिंग पीरियड के बाद यूनिट बेचने पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स लगता है. लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स पर इंडेक्सेशन बेनेफिट के साथ 20 फीसदी टैक्स लगता है.  


क्या होगा असर


अभी तीन साल से कम समय के लिए किए गए निवेश पर शॉर्ट टर्म गेन को निवेशक की इनकम में जोड़ा जाता है और इस पर नॉर्मल रेट से टैक्स लगता है. निवेश की अवधि 3 साल से ज्यादा होने पर इससे हुई कमाई को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन में शामिल किया जाता है, इस पर इनडेक्शन के बाद 20 फीसदी टैक्स लगता है. अब इस विकल्‍प में निवेशक कितने भी समय तक पैसा रखेंगे, उसके मुनाफे को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस की कैटेगरी में ही माना जाएगा. जानकारों का मानना है कि ये नियम लागू होने पर डेट फंड, FD या NSC जैसे फिक्स्ड इनकम विकल्प और हाइब्रिड फंड सभी एक जैसे हो सकते हैं और डेट इंस्ट्रूमेंट से अन्य विकल्पों में पैसा ट्रांसफर हो सकता है.


क्या है इंडेक्सेशन बेनेफिट


इंडेक्सेशन बेनिफिट्स होल्डिंग पीरियड के दौरान महंगाई के हिसाब से तय होता है और आपके टैक्स को कम कर देता है. महंगाई काफी ज्यादा होने पर तो इनडेक्शन बेनिफिट से टैक्स बहुत कम हो जाता है.


हालांकि एक अप्रैल से यह व्यवस्था बदल रही है और शॉर्ट टर्म गेन की तरह लॉन्ग टर्म गेन को भी इनवेस्टर्स की इनकम में शामिल किया जाएगा और इस पर नॉर्मल स्लैब के हिसाब से टैक्स लगेगा.


निवेशकों को क्या होगा नुकसान


1 अप्रैल से ऐसे म्यूचुअल फंड निवेश पर इंवेस्टर्स को अपने टैक्‍स स्‍लैब के हिसाब से ही मुनाफे पर टैक्‍स भरना पड़ेगा. ऐसे में टैक्स बेनेफिट चाहने वाले निवेशकों को इससे नुकसान होगा. 


अगर इंवेस्टर 30 फीसदी के टैक्‍स स्‍लैब में है तो अब डेट म्यूचुअल फंड पर फीसदी तक टैक्‍स भरना पड़ सकता है. ऐसे फंड में पैसे चाहे लंबे समय तक निवेशित रखें पर आपको शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस टैक्स की दर के हिसाब से ही टैक्स अदा करना होगा.


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