रिजर्व बैंक विलफुल डिफॉल्टर को लेकर प्रावधानों में बदलाव करने की तैयारी में है. रिजर्व बैंक के एक नए ड्राफ्ट से न सिर्फ बैंकों के लिए उन ग्राहकों को विलफुल डिफॉल्टर की लिस्ट में डालने का काम आसान और तेज हो जाएगा, जो कर्ज की किस्तें नहीं चुका रहे हैं, बल्कि इस लिस्ट में डले ग्राहक को अपने नाम से डिफॉल्टर का ठप्पा हटवाने का भी मौका मिलेगा.


जून में आया था पहला सर्कुलर


रिजर्व बैंक ने इस संबंध में सबसे पहले जून 2023 में एक सर्कुलर जारी किया था. रिजर्व बैंक के सर्कुलर में यह प्रावधान किया गया गया था कि विलफुल डिफॉल्टर को वन-टाइम सेटलमेंट का मौका सिर्फ तब दिया जाएगा, जब किसी हायर अथॉरिटी से मंजूरी मिलेगी. सर्कुलर की इस बात पर काफी विवाद हो गया था. विपक्षी दलों समेत बैंक यूनियनों ने उसका विरोध किया था.


ऐसी स्थिति में हटा सकते हैं ठप्पा


अब रिजर्व बैंक ने विलफुल डिफॉल्टर को लेकर मास्टर डाइरेक्शन का ड्राफ्ट इश्यू किया है. ड्राफ्ट में रिजर्व बैंक ने कहा है कि अगर विलफुल डिफॉल्टर की लिस्ट में कोई अकाउंट शामिल है और उस अकाउंट को लेकर बैंक व कर्जदार सेटलमेंट पर सहमत होते हैं, तो ऐसे मामलों में अकाउंट को विलफुल डिफॉल्टर की लिस्ट से हटाया जा सकता है, लेकिन सिर्फ तभी जब कर्जदार ने सहमति की पूरी रकम का भुगतान कर दिया हो.


इन्हें कहते हैं विलफुल डिफॉल्टर


अभी रिजर्व बैंक ने इस ड्राफ्ट पर विभिन्न संबंधित पक्षों से प्रतिक्रियाएं मंगाई है. ड्राफ्ट में यह भी प्रावधान किया गया है कि बैंकों को किसी अकाउंट को विलफुल डिफॉल्टर की लिस्ट में डालने के बारे में छह महीने के भीतर निर्णय लेना होगा. विलफुल डिफॉल्टर वैसे कर्जदारों को कहा जाता है, जो जानबूझकर कर्ज की किस्तें नहीं चुकाते हैं. रिजर्व बैंक ड्राफ्ट पर संबंधित पक्षों की प्रतिक्रियाओं पर गौर करने के बाद अधिसूचना जारी करेगा.


बीते सालों में कम हुई है संख्या


देश में विलफुल डिफॉटर्स की संख्या को देखें तो पिछले कुछ सालों में इसमें काफी गिरावट आई है. टाइम्स ऑफ इंडिया ने संसद में दिए गए जवाबों के आधार पर बताया है कि 2014-15 में जहां विलफुल डिफॉल्टर्स की संख्या 2,469 थी, 2020-21 में 1,063 रह गई है. इस तरह 6 सालों में विलफुल डिफॉल्टर्स की संख्या आधी से भी कम रह गई है. हालांकि साल भर पहले की तुलना में यह लगभग डबल है. 2019-20 में ऐसे डिफॉल्टर्स की संख्या 597 थी.


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