Delayed Housing Projects: सालों से डिलिवरी की राह देख लोगों को मिलेगी घर की चाबी, रियल एस्टेट फंड से हर साल 12,000 फ्लैट किया जाएगा तैयार
Real Estate Projects: एसबीआईकैप वेंचर्स ने कहा है कि अगले तीन साल में स्थगित परियोजनाओं के सालाना 12,000 फ्लैट पूरा कर उसे होमबायर को आवंटित करने का लक्ष्य बनाया है.
Real Estate Delayed Projects: लंबे समय से अपने आशियाने के बनने की राह देख रहे लोगों के लिए राहत की खबर है जो डिलिवरी में देरी से परेशान है. ऐसे 12,000 फलैट्स को अगले 3 सालों में पूरा कर होमबायर को सौंप दिया जाएगा. रियल्टी क्षेत्र के लिए 25,000 करोड़ रुपये के सरकार-समर्थित सहायता फंड का प्रबंधन करने वाली एसबीआईकैप वेंचर्स ने कहा है कि अगले तीन साल में स्थगित परियोजनाओं के सालाना 12,000 फ्लैट पूरा कर उसे होमबायर को आवंटित करने का लक्ष्य बनाया है.
एसबीआईकैप वेंचर्स लिमिटेड के मुख्य निवेश अधिकारी इरफान ए काजी ने ये ऐलान किया है. उन्होंने कहा कि इस निवेश कोष के तहत अगले तीन वर्षों में हर साल 12,000 फ्लैट का निर्माण पूरा कर खरीदारों को सौंपने का लक्ष्य रखा गया है.
सरकार ने नवंबर 2020 में रियल एस्टेट क्षेत्र में अटकी पड़ी आवासीय परियोजनाओं को पूरा करने में मदद देने के इरादे से 25,000 करोड़ रुपये के साइज का ये फंड तैयार किया था. अफोर्डेबल और मध्यम-आय वर्ग आवासीय परियोजनाओं के लिए इस निवेश कोष से देश भर में 1,500 से अधिक अटकी हुई आवासीय परियोजनाओं का काम पूरा किया जाना है. इनमें 4.58 लाख रेसिडेंशियल फ्लैट्स का निर्माण होना है.
काजी ने कहा कि इस कोष से 42 शहरों में अटकी हुई परियोजनाओं को मदद मुहैया कराई गई है. इनका काम पूरा होने से अगले तीन वर्षों में हर साल 12,000 आवासीय इकाइयों को सौंपने का लक्ष्य रखा गया है. इन आवासीय परियोजनाओं का निर्माण बीच में ही रुक जाने से लाखों घर खरीदारों को बेहद मुश्किल हालात का सामना करना पड़ रहा है. इसकी वजह के बारे में पूछे जाने पर काजी ने कहा कि रियल एस्टेट कंपनियां, घर खरीदार और कर्ज देने वाली एजेंसियां इसके लिए समान रूप से जिम्मेदार हैं.
उन्होंने कहा, 'पुराने दौर का आकलन करते समय कुछ कहना बहुत आसान है. गलतियां चारों तरफ रही हैं. इसका नतीजा यह हुआ कि रियल एस्टेट पूरी तरह धराशायी हो गया. काजी ने कहा कि स्वामिह फंड के तहत परियोजनाओें का काम पूरा करने के लिए वित्त मुहैया कराने के साथ ही यह पूरी रकम परियोजना में ही लगाने की बात सुनिश्चित की जा रही है. इसके अलावा परियोजना स्थलों पर खर्च हो जाने के बाद बिल भुगतान का ध्यान भी रखा जा रहा है.