Consumer Court Penalty on SBI Card: भारत में क्रेडिट कार्ड यूजर्स की संख्या में तेजी से बढ़त हुई है. क्रेडिट जहां लोगों के लिए मददगार साबित हो रहा है, वहीं अगर इसका संभलकर इस्तेमाल न किया जाए तो यह परेशानी का कारण भी बन सकता है. एक ऐसा ही ताजा मामला सामने आया है, जहां क्रेडिट कार्ड ग्राहक के लिए परेशानी का कारण बन गया. एसबीआई कार्ड ने ग्राहक को कार्ड एक्सपायर होने के बाद भी बिल भेज दिया. ऐसे में अब कंज्यूमर कोर्ट ने कंपनी पर लाखों का जुर्माना ठोक दिया है.
क्या है पूरा मामला?
दिल्ली के कंज्यूमर कोर्ट ने एसबीआई कार्ड्स एंड पेमेंट के खिलाफ शिकायत पर कारवाई करते हुए पूरे दो लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. पीटीआई की खबर के मुताबिक कंपनी के खिलाफ एक ग्राहक ने शिकायत दर्ज कराया था क्योंकि एसबीआई कार्ड ने क्रेडिट कार्ड कैंसिल होने के बाद भी ग्राहक को बाकाया का बिल दे दिया था. इसके साथ ही बिल में कंपनी ने लेट फीस का जुर्माना भी जोड़ दिया था. शिकायतकर्ता एम जे एंथनी ने इस मामले पर जानकारी देते हुए बताया कि उन्होंने 9 अप्रैल 2016 के बाद क्रेडिट कार्ड से किसी तरह का ट्रांजैक्शन नहीं किया था.
इसके साथ ही ट्रांजैक्शन बंद करने के दौरान उनका कोई बिल बकाया नहीं था. इसके बाद उन्होंने कंपनी को कार्ड कैंसिल करने का आवेदन भी दे दिया था, जिसे सितंबर 2016 में रद्द भी कर दिया गया. कार्ड रद्द होने के बाद ग्राहक के रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर कार्ड के बिल आने लगे. इसके बाद कंपनी ने उनके बिल में लेट फीस जोड़ दिया और 18 मई 2017 तक यह बिल कुल 2,946 रुपये का हो गया.
ग्राहक ने कंज्यूमर कोर्ट में की शिकायत
इसके बाद एंथनी ने इसकी शिकायत दिल्ली के कंज्यूमर कोर्ट में कर दी थी. ग्राहक ने कोर्ट में कहा कि बिल पेमेंट और कार्ड बंद कर देने के बावजूद भी कंपनी बिल भेजकर उसे परेशान कर रही है. इसके साथ ही एसबीआई कार्ड ने ग्राहक का नाम CIBIL सिस्टम के डिफॉल्टर्स की लिस्ट में भी जोड़ दिया था जिस कारण उन्हें किसी और बैंक से क्रेडिट कार्ड नहीं मिल रहा था.
कोर्ट ने कंपनी पर लगाया 2 लाख रुपये का जुर्माना
दिल्ली के कंज्यूमर कोर्ट ने इस मामले पर कहा कि कार्ड रद्द होने के बाद भी बिल भेजना और ग्राहक का नाम डिफॉल्टर्स की लिस्ट में जोड़ना एक गंभीर गलती है. ऐसे में इस मामले पर कार्रवाई बहुत जरूरी है. कंज्यूमर कोर्ट ने SBI Cards and Payment Services पर पूरे 2 लाख रुपये का जुर्माना लगाने का आदेश दिया है. कंपनी को यह पेनाल्टी दो महीने के भीतर भरनी होगी. अगर कंपनी ऐसा करने में विफल रहती है तो जुर्माने की रकम 2 से 3 लाख रुपये हो जाएगी.
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