Property Report: दिल्ली-एनसीआर, मुंबई और बेंगलुरु में प्राइम ऑफिस का किराया जुलाई-सितंबर की अवधि में स्थिर रहा, जबकि मजबूत मांग और सीमित नई आपूर्ति की वजह से मुंबई और बेंगलुरु में सालाना आधार पर क्रमशः पांच फीसदी और तीन फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई. यह जानकारी शनिवार को जारी एक रिपोर्ट में सामने आई है.


एशिया-पैसिफिक रीजन में छठा सबसे महंगा ऑफिस स्पेस है दिल्ली-एनसीआर


रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली-एनसीआर, मुंबई और बेंगलुरु में प्राइम ऑफिस का किराया सालाना आधार पर मजबूत रहा. इसी के साथ अगले 12 महीने में किराये की दरें स्थिर रहने की उम्मीद है. नाइट फ्रैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली-एनसीआर वर्तमान में एशिया-पैसिफिक रीजन में छठा सबसे महंगा ऑफिस स्पेस रेंटल मार्केट है.


भारत के साथ काम करने वाली कंपनियों के ऑफिस के कारण मुंबई और एनसीआर के अधिकांश प्रॉपर्टी रेंट तेजी पर रहे. मुंबई में प्राइम ऑफिस का किराया 317 रुपये प्रति वर्ग फीट प्रति माह दर्ज किया गया. बेंगलुरु में यह 138 रुपये प्रति वर्ग फीट प्रति माह और दिल्ली-एनसीआर में यह 340 रुपये प्रति वर्ग फीट प्रति माह था. साल 2024 की दूसरी और तीसरी तिमाही में इन तीनों बाजारों में संयुक्त लेनदेन की मात्रा लगातार सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गई. इस बढ़ोतरी का श्रेय काफी हद तक वैश्विक क्षमता केंद्रों (जीसीसी) और भारत-केंद्रित व्यवसायों को जाता है.


नाइट फ्रैंक इंडिया की है रिपोर्ट


नाइट फ्रैंक इंडिया के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक शिशिर बैजल ने कहा, "भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती वैश्विक कॉर्पोरेट को आकर्षित कर रही है. देश के प्रमुख कार्यालय बाजारों में निरंतर मांग से यह जाहिर है." उन्होंने कहा, "यह सकारात्मक दृष्टिकोण, 2022 से स्थिर किराया स्तर और 2024 में बढ़ती मांग के कारण है, जो निकट से मध्यम अवधि में भारतीय कार्यालय बाजार की निरंतर मजबूती में हमारे विश्वास को रेखांकित करता है."


2024 की तीसरी तिमाही में बेंगलुरु में सबसे बड़ी मात्रा में बढ़ोतरी


साल 2024 की तीसरी तिमाही में, बेंगलुरु में सबसे बड़ी मात्रा में बढ़ोतरी देखी गई, जो साल-दर-साल 158 फीसदी थी. जीसीसी हब के रूप में बेंगलुरु की स्थिति को इस तथ्य से और बल मिला कि शहर में कारोबार किए गए 62 फीसदी स्थान जीसीसी से थे. रिपोर्ट में कहा गया है कि यह उछाल भारत के आर्थिक भविष्य, इसकी समृद्ध प्रतिभा, व्यापार-अनुकूल विनियमों और इसके विशाल उपभोक्ता बाजारों की निरंतर बढ़ोतरी को लेकर आशावाद को दर्शाता है.


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