फैक्ट्रियों में मजूदरों की मांग बढ़ी, गुजरात, कर्नाटक, पंजाब जाने वाली ट्रेनों में भर कर पहुंच रहे हैं कामगार
अपने गृह राज्यों में इन मजदूरों को रोजगार मिलने की उम्मीद नहीं है. रोजगार मिल भी जाए तो मजदूरी बहुत कम है.
लंबे लॉकडाउन के बाद अब देश के औद्योगिक केंद्रों में कामकाज धीरे-धीरे शुरू हो रहा है. लॉकडाउन के दौरान घर लौट चुके मजदूरों ने फैक्ट्रियों में कामकाज के लिए पहुंचने लगे हैं. जमशेदपुर, अहमदाबाद, सिकंदराबाद (आंध्र प्रदेश), बेंगलुरू और अमृतसर तक चलने वाली ट्रेनें भरी हुई चल रही हैं. इन प्रवासी मजदूरों को ज्यादा वेतन देकर बुलाया जा रहा है.
गृह राज्यों में रोजगार की कमी
इकनॉमिक टाइम्स की एक खबर के मुताबिक अपने गृह राज्यों में इन मजदूरों को रोजगार मिलने की उम्मीद नहीं है. रोजगार मिल भी जाए तो मजदूरी बहुत कम होगी. ये मजदूर अपनी-अपनी साइट के मैनेजरों से संपर्क में हैं. इन्हें जैसे-जैसे बुलावा आ रहा है वे फैक्टरियों में लौट रहे हैं. कई फैक्ट्री मालिक मजदूरों के आने-जाने का किराया भी दे रहे हैं. साथ ही बोनस और अतिरिक्त छुट्टी का ऑफर भी मिल रहा है. पिछले दिनों फैक्ट्री मालिकों ने उन राज्यों के मुख्यमंत्रियों को चिट्ठी भी लिखी थी, जहां से सबसे ज्यादा प्रवासी मजदूर काम करने के लिए आते हैं.
झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और उत्तर प्रदेश से औद्योगिक राज्यों की ओर जाने वाली ट्रेनों में यात्रियों की संख्या में इजाफे से यह साफ हो गया है प्रवासी मजदूर अब काम की जगहों पर लौटने लगे हैं. मजदूरों की उम्मीद है श्रमिकों की संख्या में कमी की वजह से उन्हें ज्यादा मजदूर मिलेगी. प्रवासी मजदूरों को बुलाने के लिए कंपनियां कई तरीके अपना रही हैं. इनमें ग्राम प्रधान को भरोसे में लेने से लेकर प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा का वादा शामिल है. मजदूरों के आने-जाने की व्यवस्था करने का भी वादा किया जा रहा है. कई मजदूर खुद भी लौटना चाहते हैं क्योंकि गृह राज्यों में न तो उन्हें काम मिल रहा है और न ही सही मजदूरी.फैक्टरियों में अब सीजन की मांग के हिसाब से काम ने गति पकड़ना शुरू कर दिया है इसलिए मजदूरों की मांग भी बढ़ गई है.