भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूती के लक्षण दिखा रही है. खासकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था से उत्साहजनक संकेत सामने आ रहे हैं. आंकड़े बताते हैं कि गांवों में सरकारी रोजगार गारंटी योजना की मांग में लगातार कमी आ रही है. इससे पता चलता है कि ग्रामीण भारत में आर्थिक गतिविधियां तेज हो रही हैं.


इतनी कम हुई काम की डिमांड


ग्रामीण विकास मंत्रालय के प्रारंभिक आंकड़ों के अनुसार, मई महीने में सरकारी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना मनरेगा के तहत लगभग 374.6 लाख लोगों ने काम की डिमांड की. यह साल भर पहले की तुलना में 12.1 फीसदी कम है. परिवारों के हिसाब से देखें तो बीते महीने ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा के तहत काम मांगने वाले लोग 271.8 लाख परिवारों से जुड़े हुए थे. इस आधार पर साल भर पहले की तुलना में आंकड़ा 14.3 फीसदी कम हुआ है.


इस कारण मान रहे अच्छा संकेत


ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार गारंटी योजना के तहत मांग में आई कमी को कुछ एक्सपर्ट अर्थव्यवस्था के लिए अच्छे संकेत मान रहे हैं. उनका मानना है कि अमूमन मनरेगा में काम की डिमांड तभी कम होती है, जब ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों में तेजी आती है. आर्थिक गतिविधियां तेज होने से ग्रामीण क्षेत्रों में लोग उन कार्यों में सक्रिय हो जाते हैं, जिससे मनरेगा में काम की डिमांड कम हो जाती है.


गर्मियों में हर साल बढ़ती थी डिमांड


इसके साथ-साथ मौसम और चुनाव को भी कुछ हद तक जिम्मेदार माना जा रहा है. भारत के कई राज्य पिछले महीने से भीषण हीटवेव की चपेट में हैं. कुछ जगहों पर तापमान 50 डिग्री तक पहुंचने की खबरें सामने आईं. ऐसे में माना जा रहा है कि गर्मियों के बढ़ने का असर भी डिमांड पर हो सकता है. हालांकि इससे पहले आम तौर पर ऐसा देखा जाता रहा है कि गर्मियों के दौरान खासकर अप्रैल-मई के महीने में मनरेगा के तहत डिमांड में तेजी आया करती है.


चुनावों का पहले नहीं पड़ा खास असर


चुनाव के बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि उसके चलते फंड के फ्लो पर असर होने से भी मनरेगा की डिमांड प्रभावित हो सकती है. हालांकि इससे पहले चुनावों के दौरान मनरेगा के तहत आने वाली काम की डिमांड पर कोई खास असर नहीं दिखता था. ऐसे में चुनाव को बड़ा फैक्टर नहीं माना जा सकता. चूंकि मनरेगा के तहत काम की मांग में यह कमी नवंबर 2023 से ही लगातार आ रही है, यह बताता है कि अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है.


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