नई दिल्लीः आयकर विभाग ने साढ़े पांच लाख से भी ज्यादा ऐसे लोगों की पहचान की है जिनकी ओर से नोटबंदी के दौरान जमा कराया गया नकद, उनके इनकम टैक्स प्रोफाइल से मेल नहीं खाता.


‘ऑपरेशन क्लीन मनी’ के दूसरे चरण में पहचान किए गए 5.56 लाख लोगों को आयकर विभाग के वेबसाइट (https://incometaxindiaefiling.gov.in) पर जाकर जमा रकम के बारे में पूरी जानकारी देनी होगी. इसके लिए आयकर विभाग के दफ्तर का चक्कर काटने की जरुरत नहीं होगी. इन सभी लोगों को मेल और एमएमएस के जरिए भी जानकारी देने को कहा गया है. विभाग ने ये जानकारी भी दी कि 1.04 लाख ऐसे लोगों की भी पहचान की गयी है जिन्होंनें ‘ऑपरेशन क्लीनमनी’ के पहले चरण में पूछे जाने के बावजूद अपने सभी बैंक खातों की जानकारी नहीं दी.


नोटबंदी यानी 9 अक्टूबर से 30 दिसम्बर के दौरान बैंक खाते में पुराने नोट जमा कराने को लेकर कुल 17.92 लाख लोगों की पहचान की गयी थी जिनकी जमा रकम, उनके रिटर्न से मेल नहीं खा रही थी. इसके बाद सभी को ऑनलाइन जानकारी देने को कहा गया. लेकिन इनमें से केवल 9.72 लाख लोगों ने ही जानकारी मुहैया करायी. अब बाकी लोगों के खिलाफ विभाग कार्रवाई करने की तैयारी में है.


विभाग चाहता है कि लोग स्वेच्छा से नियमों का पालन करे. इसी को ध्यान में रखते हुए विभाग चाहता है कि




  • वित्त वर्ष 2016-17 और असेसमेंट इय़र 2017-18 के आयकर रिटर्न में दो लाख रुपये या उससे ज्यादा की नकद जमा के बारे में जानकारी दी जाए. इसके लिए बकायदा अलग से कॉलम दिया गया है. विभाग इस जानकारी का मिलान अपने पास उपलब्ध जानकारी से करेगा.

  • कर दाता को ये सुनिश्चित करना होगा कि नोटबंदी के दौरान बैंक खाते में जो रकम जमा करायी गयी गयी, वो टैक्स योग्य आमदनी में शामिल है और उस आधार पर ही टैक्स चुका दिया गया है

  • आयकर रिटर्न में नोटबंदी के दौरान जमा करायी गयी रकम का ब्यौरा दिया जाना चाहिए.


आयकर विभाग पहले ही कह चुका है कि नोटबंदी के बाद से लेकर अब तक 23 हजार करोड़ रुपये से भी ज्यादा अघोषित आय का पता चला है, वहीं नोटबंदी के बाद से लेकर अब तक करदाताओं की संख्या 91 लाख बढ़ गयी है. यही नहीं काले धन से हाथ रंगने वालों को चेतावनी देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कई मौकों पर कहा है कि ज्यादा नगद में औऱ टैक्स चोरी से बचाए पैसे में लेन-देन करना सुरक्षित नहीं है. उनके मुताबिक, नोटबंदी के छह महीने के दौरान तीन खास बातें देखने को मिली. पहला, डिजिटल लेन-देन बढ़ा, टैक्स असेसी की संख्या के साथ टैक्स से कमाई बढ़ी और नगद में भारी लेनदेन को लेकर डर बढ़ा.