नई दिल्ली: नोटबंदी का ऐलान 8 नवंबर को हुआ था और इसके पीछे सरकार की और आरबीआई के बीच कितना संयोजन था ये जानकर आपकी हैरानी की सीमा नहीं रहेगी. सूचना के अधिकार (आरटीआई) से खुलासा हुआ है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के केंद्रीय बोर्ड की 8 नवंबर को हुई बैठक में 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को वापस लेने की सिफारिश की गयी थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी दिन देर शाम राष्ट्र के नाम अपने टेलीविजन संदेश में घोषणा की थी कि मध्यरात्रि से ये नोट वैध मुद्रा नहीं रह जायेंगे. 8 नवंबर को नोटबंदी का ऐलान हुआ और इसी दिन आरबीआई ने सरकार को ऐसा करने की सिफारिश की थी ये सवाल उठता है कि क्या तुरंत इस सिफारिश पर अमल किया गया? या फिर सरकार पहले से नोटबंदी की तैयारी कर रही थी और आरबीआई को  इस फैसले की जानकारी नहीं थी?


मध्यप्रदेश के नीमच निवासी सामाजिक कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने बताया कि उनकी आरटीआई अर्जी के जवाब में उन्हें बताया गया कि रिजर्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड ने पिछले साल 8 नवंबर को नई दिल्ली में आयोजित बैठक में ही इसकी सिफारिश की थी कि उस वक्त वैध मुद्रा के रूप में चल रहे 500 और 1000 रुपये के नोट चलन से वापस ले लिये जाने चाहिये.


गौड़ ने हालांकि, बताया कि आरबीआई के एक अधिकारी ने सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 81ए का हवाला देते हुए उन्हें नोटबंदी के बारे में आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड की संबंधित बैठकों के मिनटों की जानकारी नहीं दी. इसी धारा का उल्लेख करते हुए उन्हें यह भी नहीं बताया गया कि आरबीआई ने नोटबंदी पर अंतिम निर्णय अपनी किस बोर्ड बैठक में लिया था.


सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 81ए के मुताबिक उस सूचना को जाहिर करने से छूट दी गयी है, जिसे प्रकट करने से भारत की प्रभुता और अखंडता, राष्ट्र की सुरक्षा, रणनीति, वैज्ञानिक या आर्थिक हितों और दूसरे देशों से संबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता हो या किसी अपराध को उकसावा मिलता हो.