यूं तो रियल एस्टेट सेक्टर कोरोना संक्रमण के दौर से पहले ही मांग की कमी से जूझ रहा था. मकान और कॉमर्शियल प्रॉपर्टी की बिक्री न होने से सेक्टर मंदी का सामना कर रहा था. लेकिन कोविड-19 के दौर ने इसकी कमर ही तोड़ दी है. मुश्किल यह है कि संकट का यह दौर आगे भी जारी रहने वाला है. सरकार ने इस बीच, इस सेक्टर को कुछ राहत दी है लेकिन यह काफी नही हैं. अब क्रिसिल की एक स्टडी में कहा गया है कि मौजूदा वित्त वर्ष यानी 2020-21 में रियल एस्टेट सेक्टर में मांग नहीं बढ़ने वाली है और इसका संकट बरकरार रहेगा.


क्रिसिल रिपोर्ट के मुताबिक प्राइमरी सेल में 50 फीसदी की गिरावट के आसार 


क्रिसिल ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि चालू वित्त वर्ष में दस टॉप शहरों रियल एस्टेट सेक्टर की प्राइमरी सेल में 50 फीसदी की गिरावट आने का अनुमान है. क्रिसिल रिसर्च की रिपोर्ट में कहा गया है कि महाराष्ट्र ने दिसंबर तक स्‍टैंप ड्यूटी को पांच फीसदी से घटाकर दो फीसदी कर दिया है. उसके बाद मार्च, 2021 तक स्‍टैंप ड्यूटी तीन फीसदी रहेगी. इसकी वजह से मुंबई और बाकी राज्य में पिछले दो माह के दौरान प्रॉपर्टी के रजिस्‍ट्रेशन में आश्चर्यजनक रूप से 1.1 से 1.3 फीसदी का इजाफा हुआ है. लेकिन मोटे तौर पर पूरे देश में रियल एस्टेट सेक्टर की मांग में कमी बनी रहेगी.


अभी बना रहेगा संकट 


इसके साथ ही रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि चालू वित्त वर्ष में प्रॉपर्टी की बिक्री में 40 से 50 फीसदी की गिरावट आ सकती है. हालांकि अक्टूबर में रियल एस्टेट सेक्टर की मांग में हल्का सुधार दिखा है लेकिन आगे मांग में ज्यादा सुधार आने की गुंजाइश नहीं है. क्रिसिल ने कहा कि अक्टूबर में रियल एस्टेट की मांग में सुधार उम्मीद से कहीं अधिक तेज रहा है. त्योहारी सीजन के बाद यह मांग कैसी रहती है, इसे देखने की जरूरत होगी. रिपोर्ट में यह भी कहा है कि पिछले पंद्रह साल में पहली बार होम लोन में इतनी ज्यादा गिरावट आई है. लेकिन रोजगार के मौके बढ़े बिना होम लोन में इजाफे की संभावना नहीं दिखती. हालांकि उत्तर भारत की तुलना में दक्षिण भारत के रियल एस्टेट मार्केट की स्थिति ज्यादा अच्छी है.


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