टाटा समूह (Tata Group) की विमानन कंपनी एअर इंडिया (Air India) के ऊपर विमानन नियामक ने लाखों रुपये का जुर्माना लगाया है. कंपनी को अपने एक पायलट की गलती भारी पड़ी है, जिसने दुबई-दिल्ली की एक फ्लाइट के दौरान अपनी महिला मित्र को कॉकपिट में बुला लिया था. इस संबंध में नियामक ने पहले कंपनी के वरिष्ठ अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस भेजा था.
पायलट का लाइसेंस भी सस्पेंड
डीजीसीए ने 27 फरवरी की घटना को लेकर एअर इंडिया पर 30 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. इसके साथ ही नियामक ने बताया कि जिस पायलट ने उड़ान के दौरान कॉकपिट में अपनी महिला मित्र को बुलाया था, उसका लाइसेंस तीन महीने के लिए सस्पेंड कर दिया गया है. डीजीसीए ने कहा कि उसने संबंधित मामले की विस्तार से जांच करने के बाद कार्रवाई का फैसला लिया है.
इस कारण हुई कार्रवाई
डीजीसीए का कहना है कि एअर इंडिया के पायलट ने अपने अधिकारों का दुरुपयोग किया और कॉकपिट में अपनी महिला मित्र को बुला लिया, जो कि विमान और यात्रियों की सुरक्षा से गंभीर खिलवाड़ है. इसी कारण पायलट का लाइसेंस 3 महीने के लिए निलंबित कर उसे सजा दी गई है. वहीं कंपनी के बारे में नियामक को लगता है कि वह अपनी ओर से समय पर कड़ी कार्रवाई करने में असफल रही. इसी कारण डीजीसीए ने जुर्माना लगाया है.
कंपनी को भेजा गया था नोटिस
आपको बता दें कि 27 फरवरी के इस मामले में दुबई-दिल्ली उड़ान के दौरान पायलट ने अपनी एक महिला मित्र को विमान के कॉकपिट में बुला लिया था. इसकी शिकायत चालक दल के ही एक सदस्य ने की थी. विमानों के कॉकपिट में सिर्फ उस विमान के चालक दल के सदस्यों की ही एंट्री होती है. अन्य लोग कॉकपिट में एंट्री नहीं कर सकते हैं. डीजीसीए ने इस मामले में पिछले महीने एअर इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी कैम्पबेल विल्सन को कारण बताओ नोटिस भेजा था. सीईओ के अलावा एअर इंडिया के सुरक्षा, रक्षा एवं गुणवत्ता परिचालन प्रमुख हेनरी डोनोहोए को भी कारण बताओ नोटिस भेजे गए थे.
15 दिन का मिला था समय
डीजीसीए की ओर से एअर इंडिया के सीईओ और उड़ान सुरक्षा के प्रमुख को 21 अप्रैल को ही कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था. कंपनी की ओर से मामले की जांच में भी देरी की गई है. दोनों अधिकारियों को नोटिस का जवाब देने के लिए 15 दिन का समय दिया गया था. उसके बाद अब नियामक ने जुर्माना लगाने और पायलट का लाइसेंस सस्पेंड करने का फैसला लिया है.
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