नई दिल्लीः डीएचएफएल यानी दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉर्पोरेशन में जिनकी एफडी है उनमें से करीब एक लाख लोगों की एफडी फंसने का खतरा पैदा हो गया है. सीरीयस फ्रॉड इंवेस्टीगेशन ऑफिस (एसएफआईओ) के पास डीएचएफल की जांच के लिए सरकार ने आदेश दे दिया है. सरकार ने दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (डीएचएफएल) में हुई कथित वित्तीय अनियमितताओं की (एसएफआईओ) द्वारा जांच करने का आदेश दिया है. एक सूत्र ने इसकी जानकारी दी है.
डीएचएफएल के ऊपर आरोप है कि उसने कई मुखौटा कंपनियों के जरिये 31 हजार करोड़ रुपये के बैंक लोन की हेरा-फेरी की है. कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने कंपनियों के रजिस्ट्रार के जरिये डीएफएफल के प्रमोटरों के खिलाफ वित्तीय अनियमितता के आरोपों की विस्तार से जांच की है. सूत्रों के अनुसार, इस जांच में कंपनी में पैसों के संदिग्ध हेर-फेर के संकेत मिले हैं। इसके बाद मंत्रालय ने एसएफआईओ को इस मामले की जांच करने को कहा है.
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इसके पहले 29 अक्टूबर को एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा था कि डीएचएफएल मामले को जांच के लिये एसएफआईओ के पास भेजने के पर्याप्त कारण हैं. कंपनी रजिस्ट्रार के मुंबई ऑफिस ने कुछ दिन कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय को डीएचएफएल के बारे में रिपोर्ट सौंपी है.
कंपनी पर कुल देनदारी
डीएचएफएल पर कुल 83,873 करोड़ रुपये की देनदारी या बकाया है जिसमें में नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर का कंपनी पर 41,431 करोड़ रुपये बकाया है. इसके अलावा बैंकों का 27,527 करोड़ रुपये का बकाया है. वहीं कमर्शियल पेपर 100 करोड़ रुपये के हैं. नेशनल कमर्शियल बैंक यानी एनसीबी का भी डीएचएफएल पर 2350 करोड़ रुपये का बकाया है. वहीं कुछ एक्सटरनल कमर्शियल बॉरोइंग भी हैं वहीं कुछ अन्य बकाया भी हैं.
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कंपनी की एफडी वालों के लिए निपटान स्कीम पेश की गई
बताया जा रहा है कि कंपनी के लिए बैंकों और बकाएदारों ने एक निपटान स्कीम पेश की है जिसके तहत 10 साल में बिना ब्याज के लोगों का कोष वापस किया जा सकता है. इसमें भी उन लोगों को प्रायोरिटी दी जाएगी जिनकी एफडी है और वो रिटायर होने वाले हैं या हो चुके हैं.
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