RBI: अगर आप भी उन लोगों में से हैं जिनका बैंक भारतीय रिजर्व बैंक की कार्रवाई के तहत या तो बंद किया जा चुका है या मर्ज किया जा चुका है, या उसका लाइसेंस कैंसिल किया जा चुका है तो ये खबर आपके लिए है. ताजा आंकड़ों के मुताबिक साल 2021-22 के दौरान डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन यानी DICGC के तहत 8,516.6 करोड़ रुपये के क्लेम सेटलमेंट किए जा चुके हैं यानी इतना पैसा दिया जा चुका है. इसके जरिए देश के अलग-अलग बैंकों के बंद होने की स्थिति से फंसे लाखों ग्राहकों को राहत मिली है.
कुल 12.94 लाख जमाकर्ताओं को मिला उनका पैसा
आंकड़ों के मुताबिक कुल 12.94 लाख डिपॉजिटर्स को इससे उनका फंसा हुआ पैसा वापस मिला है. RBI के पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी DICGC जो बैंक जमा पर बीमा कवर प्रदान करती है उसके जरिए ये राहत बैंक के ग्राहकों को मिली है.
क्यों दी जाती है ये रकम
बैंक का लाइसेंस कैंसिल करने या बैंक के ऊपर आरबीआई के किसी और एक्शन की स्थिति में अगर डिपॉजिटर्स का पैसा फंसा है तो जमाकर्ताओं को डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन के तहत बीमा की रकम दी जाती है. इस दायरे में विदेशी बैंकों की ब्रांच के अलावा रीजनल बैंक, माइक्रो फाइनेंस बैंक और पेमेंट बैंक सहित सभी कमर्शियल बैंक भी कवर किए जाते हैं और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (Regional Rural Banks) के ग्राहकों को उनका पैसा मिलता है.
अक्सर आती हैं बैंकों को बंद करने की खबरें
हाल ही में रिजर्व बैंक ने महाराष्ट्र के बाबाजी दाते महिला सहकारी बैंक लिमिटेड का लाइसेंस कैंसिल किया था. इसके ग्राहकों को भी DICGC के तहत उनका जमा पैसा वापस मिल जाएगा.
कितने बैंक हैं इस स्कीम के साथ रजिस्टर
DICGC की रिपोर्ट के मुताबिक 22 अर्बन को-ऑपरेटिव बैंकों के ग्राहकों को इस प्रावधान के तहत लाया गया है और इनके डिपॉजिटर्स को उनका पैसा वापस दिया गया है. मार्च 2022 तक 2400 बैंकों को इंश्योरेंस स्कीम के तहत DICGC के साथ रजिस्टर किया जा चुका है.
बैंकों के डूबने या लाइसेंस कैंसिल होने की स्थिति में मिलती है पांच लाख रुपये तक की रकम
सरकार ने 2020 में बैंकों के लिए डिपॉजिट पर बीमा कवर को पांच गुना बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया था जो कि पहले 1 लाख रुपये ही था. इसका अर्थ है कि पहले अगर आपका बैंक डूबता था तो उसके ग्राहकों को अपनी जमा रकम में से केवल 1 लाख रुपये तक की रकम वापस मिलने की गारंटी थी पर साल 2020 में इसके संशोधन के बाद अब कुल जमा राशि में से 5 लाख रुपये तक की राशि वापस मिल सकती है.
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