लोकसभा चुनाव 2024 की महीनों लंबी अवधि का आधा समय से ज्यादा बीत चुका है. अब सिर्फ 2-3 सप्ताह का चुनावी सीजन बचा हुआ है. इस बीच डीजल-पेट्रोल की बिक्री के आंकड़े चौंकाने वाले रहे हैं. आंकड़े बताते हैं कि चुनावी अभियान के जोकर पकड़ने के बाद डीजल-पेट्रोल की बिक्री बढ़ने के बजाय कम हो गई है.
इतनी रही पेट्रोल की बिक्री
पीटीआई की एक रिपोर्ट में सरकारी तेल कंपनियों के हवाले से डीजल और पेट्रोल समेत विभिन्न ईंधनों की बिक्री के आंकड़ों की जानकारी दी गई. आंकड़ों के अनुसार, मई महीने के पूर्वार्द्ध यानी पहले 15 दिनों में देश भर में पेट्रोल की बिक्री का आंकड़ा 1.367 मिलियन टन पर रहा. यह साल भर पहले की तुलना में लगभग बराबर है. पिछले साल मई महीने के पहले 15 दिनों में 1.36 मिलियन टन पेट्रोल की बिक्री हुई थी.
डीजल की बिक्री में गिरावट
वहीं डीजल के मामले में तो बिक्री में गिरावट आई है. 1 मई से 15 मई के दौरान देश भर में सरकारी तेल कंपनियों ने 3.28 मिलियन टन डीजल की बिक्री की. यह साल भर पहले की समान अवधि की तुलना में 1.1 फीसदी कम है. डीजल की बिक्री में लगातार गिरावट आ रही है. इससे पहले सालाना आधार पर अप्रैल महीने में डीजल की खपत में 2.3 फीसदी की और मार्च महीने में 2.7 फीसदी की गिरावट आई थी.
चुनावी मौसम में बढ़ती है डिमांड
डीजल सबसे ज्यादा खपत होने वाला ईंधन है. आम तौर पर ऐसा देखा जाता रहा है कि चुनावी सीजन में डीजल की मांग बढ़ जाती है. चुनाव प्रचार अभियान के जोर पकड़ने के बाद देश भर में उम्मीदवारों के द्वारा वाहनों का ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है, जिससे डीजल और पेट्रोल की खपत बढ़ जाती है. हालांकि इस बार अलग तस्वीर सामने आ रही है. जहां डीजल की बिक्री में गिरावट आ रही है, वहीं पेट्रोल की खपत कमोबेश उसी स्तर पर है, जहां पिछले साल थी.
सात चरणों में लोकसभा चुनाव
लोकसभा चुनाव हर पांच साल में एक बार होता है. इस बार लोकसभा चुनाव के लिए सात चरणों में मतदान हो रहा है. पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हुआ था. अब तक चार चरणों में मतदान हो चुके हैं. अंतिम यानी सातवें चरण का मतदान 1 जून को होने वाला है. उसके बाद 4 जून को लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे सामने आएंगे.
इन कारणों से भी मिलता है सपोर्ट
अभी डीजल-पेट्रोल की बिक्री में गिरावट के आंकड़े इस कारण भी चौंकाने वाले हैं, क्योंकि चुनावी सीजन के अलावा अन्य फैक्टर भी खपत को सपोर्ट करने वाले मौजूद हैं. उदाहरण के लिए अभी गर्मियों का मौसम चरम पर है. इस सीजन में वैसे भी ईंधन की खपत बढ़ जाती है, क्योंकि लोग गर्मी से बचने के लिए अपनी गाड़ियों में एसी का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं. इसके अलावा हाल ही में डीजल-पेट्रोल की कीमतों में लंबे समय बाद कटौती की गई थी. मार्च महीने में करीब दो साल के बाद पहली बार डीजल-पेट्रोल की कीमतों में 2-2 रुपये प्रति लीटर की कटौती हुई थी. इस सीजन में खेती के चलते भी ईंधन खासकर डीजल की डिमांड में तेजी आया करती है.
सबसे ज्यादा डीजल की बिक्री
देश में सभी पेट्रोलियम उत्पादों की खपत में अकेले डीजल का योगदान लगभग 40 फीसदी रहता है. डीजल के मामले में 70 फीसदी खपत ट्रांसपोर्ट सेक्टर में होती है. कृषि में भी डीजल का सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है.
एटीएफ और एलपीजी की बढ़ी खपत
डीजल-पेट्रोल के अलावा अन्य पेट्रोलियम उत्पादों को देखें तो मई महीने में अब तक (1 से 15 मई तक) विमानन ईंधन यानी एटीएफ की बिक्री बढ़ी है. सालाना आधार पर इस दौरान एटीएफ की खपत 4.1 फीसदी बढ़कर 3.14 लाख टन पर पहुंच गई. इसी तरह सालाना आधार पर रसोई गैस यानी एलपीजी की भी बिक्री बढ़ी है. इसकी बिक्री साल भर पहले की तुलना में 1.1 फीसदी बढ़कर 1.21 मिलियन टन हो गई.
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