नई दिल्लीः नोटबंदी के बाद फीचर फोन यानी सामान्य फोन के जरिए डिजिटल लेन-देन में 5000 फीसदी से भी ज्यादा की बढ़ोतरी दर्ज की गयी है. दूसरी ओर सरकार ने सभी बैंकों को निर्देश दिए है कि डिजिटल नेटवर्क में किसी भी तरह की आसामान्य गतिविधि की तुरंत जानकारी सूचना तकनीक मंत्रालय की दे, ताकि तुरंत कार्रवाई करने में आसानी हो. नोटबंदी के बाद से सरकार की लगातार कोशिश है कि नकदी का कम से कम इस्तेमाल हो और डिजिटल माध्यमो से लोग ज्यादा लेन-देन करें. इस सिलसिले में डिजिटल लेन-देन पर डिस्काउंट भी शुरु किए गए. अब इनके नतीजे भी दिखने लगे हैं. सूचना तकनीक मंत्रालय के ताजा आंकड़े बताते हैं कि 8 नवम्बर को जहां क्रेडिट या डेबिट कार्ड के जरिए प्वाइंट ऑफ सेल्स मशीन यानी पॉस मशीन पर औसतन हर दिन 1221 करोड़ रुपये का लेन-देन होता था, वो 26 मार्च को बढकर 1751 करोड़ रुपये पर पहुंच गया. यानी 43 फीसदी का इजाफा.
इसी तरह ई वॉलेट पर औसत लेन-देन 88 करोड रुपये था जो अब 293 करोड़ रुपये पर आ गया, यानी 233 फीसदी की बढ़ोतरी रुपे कार्ड पर औसत लेन देन 621 फीसदी बढ़कर 39 करोड़ रुपये से 282 करोड़ रुपये पर पहुंचा. लेकिन सबसे ज्यादा हैरान करने वाले आंकड़े यूएसएसडी तकनीक से लेन-देन का है जो 1 लाख रुपये से 67 लाख रुपये पर पहुंच गया. यानी 5014 फीसदी की बढ़ोतरी.
ध्यान देने की बात ये है कि यूएसएसडी तकनीक का इस्तेमाल साधारण यानी फीचर फोन पर होता है. साथ ही इस तरह की तकनीक के जरिए बगैर स्मार्ट फोन के आप डिजिटल लेन-देन कर सकते हैं. फिलहाल, डिजिटल माध्यमों से लेन-देन के मामले में सबसे बड़ी परेशानी सुरक्षा को लेकर है. बीते दिनों 32 लाख से ज्यादा डेबिट कार्ड के आंकड़ों में सेंधमारी की आशंका जतायी गयी तो नोटबंदी के बाद डिजिटल माध्यमों से लेन-देन में गड़बड़ियों की कई शिकायतें आयी है. इस के बाद सरकार ने सभी बैंकों को खास निर्देश जारी किए हैं.
सूचना तकनीक मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार ने सभी बैंकों को निर्देश दिए हैं कि किसी भी तरह की आसामान्य गतिविधि की जानकारी तुरंत एमरजेंसी रिस्पांस टीम को दी जाए. इस बीच, सरकार ने डिजिटल व्यवस्था को ज्यादा से ज्यादा दुकानदारों को लाने की नयी मुहिम शुरु की है. व्यापारी संगठन कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के साथ मिलकर 1000 छोटे-बड़े शहरों में 1 करोड़ से ज्यादा व्यापारियों को डिजिटल माध्यम में लेन-देन की ट्रेनिंग दी जाएगी. दूसरी ओर सरकार की विशेष मुहिम के तहत 1 करोड़ से ज्यादा व्यापारियों को पहले ही दक्ष बनाया जा चुका है.