हीरे के गहने शान और शौकत के प्रतीक माने जाते हैं. आखिरकार उनकी कीमत जो बहुत ज्यादा होती है. अभी तो वैसे भी हीरा और हीरे के गहने खरीदने का सुनहरा मौका आया हुआ है, क्योंकि इनके भाव में 50 फीसदी तक की गिरावट आई हुई है. हालांकि अगर आप हीरे के गहने खरीदने का फैसला ले रहे हैं तो उससे पहले आपको इस सच के बारे में जरूर जान लेना चाहिए.
इन कारणों से कम हो गई है कीमत
सबसे पहले भाव की बात. अभी कई फैक्टर मिलकर हीरे को सस्ता बना रहे हैं. पहली स्थिति है कि बाजार में डिमांड से सप्लाई है, जिसने हीरे के भाव को गिराया है. दूसरी ओर वैश्विक आर्थिक मंदी की आशंकाएं और यूरोप व एशिया में छिड़े युद्ध से बढ़े भू-राजनीतिक तनावों ने भी हीरे की चमक फीकी है. ऐसे में प्राकृतिक हीरे के भाव में पिछले एक साल के दौरान 30 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है. वहीं लैब में बनाए जाने वाले हीरे की कीमत में 50 फीसदी तक की गिरावट आई है.
त्योहारी सीजन में बना ये संयोग
दूयरे शब्दों में कहें तो अभी आप लगभग आधी कीमत पर हीरा खरीद सकते हैं. चूंकि पूरे देश में त्योहारी सीजन जोरों पर है. आने वाले कुछ सप्ताहों में धनतेरस और दिवाली जैसे त्योहार आ रहे हैं, जो गहने व रत्नों की खरीदारी के लिए शुभ अवसर माने जाते हैं. ऐसे में यह समय हीरा और हीरे के गहनों की खरीदारी के लिए सबसे उपयुक्त बनकर उभरा है.
80 फीसदी तक हो सकता है नुकसान
हालांकि हीरे की खरीदारी के साथ जो सबसे बड़ी खामी है, वो है रीसेल वैल्यू. डायमंड प्रो के अनुसार, हीरे की रीसेल वैल्यू हमेशा खरीद की कीमत की तुलना में काफी कम होती है. रीसेल वैल्यू मूल कीमत के महज 20 फीसदी तक सीमित हो सकती है. अमूमन हीरे की रीसेल वैल्यू खरीद की वैल्यू के 20 से 60 फीसदी के दायरे में रहती है. यानी कम से कम 40 फीसदी का तो नुकसान हो ही जाएगा. ज्यादा से ज्यादा यह नुकसान 80 फीसदी तक का हो सकता है. यानी 1 लाख रुपये में खरीदे गए हीरे को बेचने पर हो सकता है 20 हजार रुपये ही मिल पाएं.
खरीदते ही आधा हो जाता है भाव
अब इसके कारणों को जानते हैं. आम तौर पर लोग हीरे के गहने जैसे हार या अंगूठी आदि खरीदते हैं. इन्हें किसी ज्वेलर के यहां से खरीदा जाता है. चूंकि ज्वेलर खुद से हीरा बनाता नहीं है, उसे भी यह खरीदना पड़ता है. ज्वेलर आम तौर पर हीरे के होलसेल कारोबारी से खरीदते हैं. होलसेल कारोबारी के यहां आने से पहले भी हीरे को कई चरणों से गुजरना पड़ता है, जैसे- माइनिंग, कटिंग, पॉलिशिंग, ब्रांडिंग आदि. हर चरण में वैल्यू बढ़ती जाती है. डायमंड प्रो की रिसर्च बताती है कि आम तौर पर ज्वेलर हीरे के गहनों में हीरे की कीमत अपनी खरीद की तुलना में डबल लगाते हैं. यानी आप खरीदते ही लगभग 50 फीसदी के नुकसान में चले जाते हैं.
इस तरह से तय होती है कीमत
हीरे की वैल्यू 4सी पैमाने से तय होती है. 4सी यानी कट क्वालिटी, कलर, क्लेरिटी और कैरेट वेट. हीरों को बेचने से पहले उनका सर्टिफिकेशन होता है. इन्हें जीआईए या एजीएस सर्टिफिकेशन कहते हैं. ये प्राइवेट लैब में होने वाला सर्टिफिकेशन है, जो हीरे की शुद्धता और गुणवत्ता का प्रमाणन होता है. आपने चाहे जिस भी दर पर हीरा खरीदा हो, उसे बेचते समय उसकी कीमत सर्टिफिकेशन के आधार पर ही तय होगी.
निवेश के लिहाज से खराब निर्णय
तीसरा अहम फैक्टर ये आता है कि हीरे को आसानी से बेच पाना भी संभव नहीं है. उदाहरण के लिए- सोने-चांदी के गहनों को इमरजेंसी की स्थिति में पड़ोस के ज्वेलर के पास लिक्विड कराना संभव है, लेकिन हीरे के साथ ऐसी स्थिति नहीं है. हीरे को बेचने के लिए आपको चुनिंदा विकल्प ही मिलते हैं. कुल मिलाकर देखें तो निवेश के लिहाज से हीरा या हीरे के गहने सही विकल्प साबित नहीं होते हैं. हां, अगर आपके पास पर्याप्त कमाई और बचत है, साथ ही आपको शौक है, तो फिर आप बिना सेकेंड थॉट के खरीदने के फैसले के साथ आगे बढ़ सकते हैं.
ये भी पढ़ें: दिवाली में मिले कंपनी या दोस्तों से गिफ्ट, तो जान लीजिए कितना देना पड़ेगा टैक्स!