बैंक कई कारणों से आपके लोन के आवेदन को रद्द कर सकते हैं. इसलिए हमेशा पूरी तैयारी के साथ ही लोन के लिए आवेदन करना चाहिए, जिससे आपको लोन मिलने में कोई दिक्कत न हो. हालांकि लोन आवेदन रद्द हो जाने के बाद भी आपके पास कुछ विक्लप बचते हैं. लेकिन इससे पहले यह समझना होगा कि कुछ आवेदकों को बैंक लोन देने से मना क्यों कर देते हैं. लोन का आवेदन अक्सर छोटी-छोटी गलतियों की वजह से रद्द हो जाता है. जैसे अगर आपका एड्रेस वेरीफिकेशन अधूरा पड़ा रहता है तो लोन का आवेदन खारिज हो सकता है. इसके अलावा आपकी क्रेडिट रेटिंग भी बहुत मायने रखती है. 


क्रेडिट रेटिंग 



  • खराब क्रेडिट रेटिंग की वजह से भी आपका लोन आवदेन रिजेक्ट हो सकता है. इसकी वजह से बैंक को लगता है कि आपकी इनकम पर्याप्त नहीं है.

  • बैंक यह जानना चाहते हैं कि आवदेक की लोन वापस करने क्षमता है या नहीं. यही वजह है कि बैंक आवदेक की आय और बैंक अकाउंट की गहन जांच करता है.

  • अगर आपकी आय बैंक के तय मानक से मैच नहीं करती है तो बैंक आपको लोन देने के लिए मना कर सकते हैं.

  • क्रेडिट रेटिंग आपको लोन मिलने की मुख्य आधार होती है.

  • सिबिल स्कोर 300-900 के बीच होता है और 750 या इससे ऊपर को अच्छा माना जाता है.

  • उन आवदेको को लोन मिलने में कोई मुश्किल नहीं होती जिनका स्कोर 750 से ऊपर होता है.


वहीं कंपनियों की भी रैंकिग होती है जिसे कंपनीज क्रेडिट रिपोर्ट (CCR) के नाम से जाना जात है. 1 से 10 के बीच के स्केल के हिसाब से यह तय की जाती है. जिस कंपनी का स्कोर 1 नंबर का होता है उन्हें बढ़िया माना जाता है.


आपको क्या करना चाहिए



  • बैंक अगर क्रेडिट रेटिंग की लोन देने से मना करें तो क्रेडिट रेटिंग एजेंसी से डिटेल रिपोर्ट लें.

  • डिटेल रिपोर्ट का पूरा अध्ययन करें.

  • इस बात की संभावना रहती है कि क्रेडिट रेटिंग में गलती हो सकती है.

  • आपको कोई गड़बड़ी दिखे तो क्रॉस चेक करें और क्रेडिट रेटिंग एजेंसी से ठीक करने के लिए कहें.


दूसरे बैंक का रुख करें



  • अपने बैंक की ब्रांच में लोन के लिए अप्लाई करना सही रहता है. अगर आपका बैंक लोन देने से मना कर देते तो दूसरे बैंक के पास जाएं

  • ग्रामीण बैंक और क्षेत्रीय सहकारी बैंक कम सख्त शर्त रखते हैं. इनमें लोन जल्दी मिलने की संभावना ज्यादा होती है.


डाउन पेमेंट


होम और कार लोन जैसी किसी खरीददारी के लिए लोन का आवेदन किया है तो लोन की डाउन पेमेंट की रकम बढ़ाना फायदेमंद रहता है. इससे लोन मिलने की संभावना भी बढ़ जाती है और ईएमआई भी घट जाती है.


पुराना लोन



  • अगर आपने पुराना लोन लिया था तो कई बार उसकी राशि ज्यादा होने की वजह से आपको नया लोन नहीं मिल पाता है.

  • डेट टू इनकम का रेशियो बैंक करीब 35 फीसदी चाहते हैं और 40 फीसदी से ज्यादा डीटीआई रिस्क की श्रेणी में आता है. डीटीआई का आंकलन करते वक्त आपके पुराने लोन और क्रेडिट कार्ड की बकाया राशि को शामिल किया जाता है.

  • कर्ज-आमदनी के अनुपात की वजह से लोनआवेदन रद्दा हुआ है तो पहले पुराना लोन क्लियर कर लेना चाहिए.