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काम की खबर: बैंक लॉकर से जुड़े इस नियम को जान लीजिए, क्यों है आपके लिए बेहद जरूरी?
बैंक वित्तीय या सोशल स्टेटस, नेचर ऑफ बिजनस ऐक्टिविटी, कस्टमर्स लोकेशन और अपने क्लाइंट्स के आधार पर ग्राहकों की कैटेगरी बनाते हैं. किसी भी ग्राहक को लॉकर देने से पहले बैंक उनकी पूरी तरह छानबीन की जाती है.
बैंक लॉकर डिपोजिटरों को अपनी कीमत सामान रखने की एक सुरक्षित जगह मुहैया कराता है. लेकिन इससे जुड़े कुछ अहम रूल आपके लिए जरूरी हैं. अगर किसी बैंक में आपका लॉकर है तो आपको साल में एक बार इसे जरूर ऑपरेट करना होगा. अगर आप ऐसा नहीं करते हैं बैंक, आपके लॉकर को खोल कर देख सकता है. हालांकि अगर आप बैंक के लोअर रिस्क कैटेगरी में हैं तो आपको एक मौका मिल सकता है. आरबीआई नियमों के मुताबिक जो लोग मीडियम रिस्क कैटिगरी में आते हैं, उन्हें बैंक उसे बैंक उस स्थिति में नोटिस भेज सकता है जब वे तीन साल से अधिक वक्त तक अपने लॉकर को ऑपरेट नहीं करेंगे.
लॉकर ग्राहकों की कई कैटिगरी
बैंक वित्तीय या सोशल स्टेटस, नेचर ऑफ बिजनस ऐक्टिविटी, कस्टमर्स लोकेशन और अपने क्लाइंट्स के आधार पर ग्राहकों की कैटेगरी बनाते हैं. किसी भी ग्राहक को लॉकर देने से पहले बैंक उनकी पूरी तरह छानबीन की जाती है. ऑपरेट न करने पर बैंक जो नोटिस जारी करता है उसमें कहा जाता है कि या तो आप लॉकर ऑपरेट करें या फिर उसे सरेंडर करें. अगर आप किन्हीं वजहों से लॉकर ऑपरेट नहीं कर पा रहे हैं तो आपको इसकी वजह बतानी पड़ती है.
अगर बैंक को लगता है कि लॉकर ऑपरेट न करने की आपकी वजह वाजिब है तो आपको इसे ऑपरेट करने की अनुमति मिल जाती है. अगर वाजिब वजह नहीं दे पाते हैं तो बैंक आपके लॉकर के अलॉटमेंट को कैंसिल कर देता है. यह लॉकर किसी और को अलॉट किया जा सकता है. आपका बैंक आपको लॉकर को बार-बार ऑपरेट करने की सुविधा भी दे सकता है. उदाहरण के लिए कुछ बैंक अपने अपने कस्टमर को को छह महीने में कम से कम एक बार लॉकर खोलने की सलाह देता है.
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