भारत सरकार ने संसद में नए इनकम टैक्स बिल को पेश कर दिया है. वहां से पास होने के बाद इसे संसद की स्थायी समिति को चर्चा के लिए भेजा जाएगा. सबकुछ ठीक-ठाक रहा तो एक अप्रैल 2026 से इसे लागू किया जा सकता है. नया बिल लाकर 823 पन्नों के 1961 के इनकम टैक्स एक्ट को 622 पन्नों में समेट दिया गया है.


यानी 201 पेज कम किए गए हैं, जिससे इसे पढ़ना और समझना आसान होगा. कानून में 536 सेक्शन, 23 चैप्टर और 16 शेड्यूल होंगे. भले ही सेक्शन की संख्या अधिक है, लेकिन कम स्पष्टीकरण और प्रॉविजन होने से कानून छोटा और सरल हो गया है.


ओल्ड टैक्स रिजीम भी लागू रहेगा


न्यू टैक्स रिजीम डिफॉल्ट रहेगा, लेकिन ओल्ड टैक्स सिस्टम को भी बरकरार रखा गया है. जो टैक्सपेयर इसे अपनाना चाहते हैं, वे इसके लिए अलग से आवेदन कर सकते हैं. सेक्शन 44एडी के तहत बिजनेस के लिए सीमा दो  करोड़ से बढ़ाकर तीन करोड़ कर दी गई है, जबकि प्रोफेशनल्स के लिए यह सीमा 50 लाख से बढ़ाकर 75 लाख कर दी गई है. क्रिप्टोकरेंसी वर्चुअल डिजिटल एसेट की श्रेणी में रखा गया है, जिसमें प्रॉपर्टी, ज्वेलरी, पेंटिंग, ड्रॉइंग और शेयर भी शामिल हैं.


चलता रहेगा चार्टर्ड एकाउंटेंट का काम-धंधा


पहले अटकलें लगाई जा रही थीं कि टैक्स ऑडिट में कंपनी सेक्रेटरी और कॉस्ट एंड मैनेजमेंट एकाउंटेंट को भी शामिल किया जा सकता है, लेकिन सेक्शन 515 (3)(b) में स्पष्ट किया गया है कि अकाउंटेंट का मतलब केवल चार्टर्ड अकाउंटेंट होगा. यह खबर सीए समुदाय के लिए राहत भरी है. इसी तरह अब असेसमेंट ईयर को टैक्स ईयर और पिछलं वर्ष को फाइनेंशियल ईयर कहा जाएगा. लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन और शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन की दरें वैसी ही रहेंगी, जैसी पिछले साल लागू की गई थीं. इनमें कोई बदलाव नहीं किया गया है. संसद की स्थायी समिति की चर्चा के बाद लागू होने से पहले नए इनकम टैक्स कानून का रूप थोड़ा और स्पष्ट हो सकता है.


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