(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Share Market Investors: आत्मनिर्भर हो रहा शेयर बाजार? अब देसी निवेशकों के पास है इतना बड़ा हिस्सा
DIIs in Share Market: लगातार छह तिमाहियों से घरेलू निवेशकों की हिस्सेदारी बढ़ रही है. इसमें घरेलू संस्थागत निवेशकों, हाई नेट वर्थ इंडिविजुअल्स और खुदरा निवेशकों की हिस्सेदारी शामिल है...
शेयर बाजार दुनिया भर में निवेशकों को काफी पसंद है और इसने कइयों को अमीर बनाया है. हालांकि भारत इस मामले में काफी पीछे है. कोरोना महामारी के बाद भारत में भी शेयर बाजार में पैसे लगाने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी है. समय-समय पर आंकड़े इसकी गवाही देते रहे हैं.
पहली बार 25 फीसदी के पार
शेयर बाजार से जुड़े आंकड़ों पर नजर रखने वाली प्राइम डेटाबेस के अनुसार, पिछले कुछ समय के दौरान घरेलू शेयर बाजार में घरेलू निवेशकों का दबदबा और दखल तेजी से बढ़ा है. आंकड़ों के अनुसार, एनएसई पर लिस्टेड कंपनियों में घरेलू निवेशकों की हिस्सेदारी पहली बार 25 फीसदी से ज्यादा हुई है. यह मुकाम मार्च तिमाही के दौरान हासिल हुआ है.
बढ़कर इतनी हो गई हिस्सेदारी
प्राइम डेटाबेस के अनुसार, मार्च तिमाही के दौरान ऐसा पहली बार हुआ कि एनएसई पर लिस्टेड कंपनियों में घरेलू संस्थागत निवेशकों यानी डीआईआई, हाई नेट वर्थ इंडिविजुअल्स यानी एचएनआई और खुदरा निवेशकों की हिस्सेदारी 25 फीसदी से ज्यादा हुई है. दिसंबर तिमाही के अंत में इनकी सम्मिलित हिस्सेदारी 24.44 फीसदी थी, जो मार्च तिमाही के समाप्त होते-होते 25.72 फीसदी पर पहुंच गई.
डीआईआई ने किया इतना निवेश
प्राइम डेटाबेस के मैनेजिंग डाइरेक्टर प्रणव हलदेव के हवाले से ईटी की एक खबर में बताया गया है कि लगातार छह तिमाहियों से घरेलू निवेशकों की हिस्सेदारी बढ़ रही है. मार्च तिमाही के दौरान घरेलू संस्थागत निवेशकों का कुल शुद्ध निवेश 83,200 करोड़ रुपये का रहा. इस तरह मार्च तिमाही के दौरान पहली बार घरेलू निवेशकों की कुल हिस्सेदारी 25 फीसदी के पार निकल गई.
वैल्यू के हिसाब से आई कमी
वैल्यू के लिहाज से देखें तो मार्च तिमाही के दौरान घरेलू संस्थागत निवेशकों की होल्डिंग में गिरावट आई है. डीआईआई की होल्डिंग की वैल्यू कम होकर 41.24 लाख करोड़ रुपये रह गई है. यह दिसंबर तिमाही की तुलना में 2.47 फीसदी कम वैल्यू है. वहीं दूसरी ओर विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की होल्डिंग में और तेज गिरावट आई है. एफपीआई की होल्डिंग 7.18 फीसदी कम होकर 51.85 लाख करोड़ रुपये रह गई है.
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