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ट्रंप के 'अमेरिका फर्स्ट' एजेंडा से भारत की गाड़ियों, कपड़े, फार्मा सामान पर बढ़ सकती है ड्यूटी, जानकारों का है मानना

ट्रंप ने पहले भारत को 'बड़ा शुल्क दुरुपयोगकर्ता' कहा था और अक्टूबर 2020 में भारत को 'टैरिफ किंग' करार दिया था. इन टिप्पणियों से पता चलता है कि ट्रंप का दूसरा कार्यकाल कठिन व्यापार वार्ता ला सकता है.

Indo-US Trade: डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के घटनाक्रम के बीच अगर नया अमेरिकी प्रशासन 'अमेरिका फर्स्ट' एजेंडा को आगे बढ़ाने का फैसला करता है, तो भारतीय निर्यातकों को गाड़ियों, कपड़ा और फार्मा जैसे सामान के लिए ऊंचे कस्टम ड्यूटी का सामना करना पड़ सकता है. वित्तीय एक्सपर्ट्स ने यह राय जताई है.

जानकारों ने कहा कि ट्रंप एच-1बी वीजा नियमों को भी सख्त कर सकते हैं, जिससे भारत की आईटी कंपनियों की लागत और ग्रोथ पर असर पड़ेगा. भारत में 80 फीसदी से ज्यादा आईटी एक्सपोर्ट इनकम अमेरिका से आती है. अगर वीजा नीतियों में बदलाव होगा तो इसके प्रति भारत संवेदनशील हो जाता है. अमेरिका, भारत का सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार है. अमेरिका से भारत का सालाना कारोबार 190 अरब डॉलर से ज्यादा है.

क्या कहते हैं वित्तीय और ट्रेड जगत के जानकार

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि ट्रंप चीन के बाद अब भारत और अन्य देशों पर भी ड्यूटी लगा सकते हैं. ट्रंप ने पहले भारत को 'बड़ा शुल्क दुरुपयोगकर्ता' कहा था और अक्टूबर 2020 में भारत को 'टैरिफ किंग' करार दिया था. उन्होंने कहा कि इन टिप्पणियों से पता चलता है कि ट्रंप का दूसरा कार्यकाल कठिन व्यापार वार्ता ला सकता है.


ट्रंप के 'अमेरिका फर्स्ट' एजेंडा से भारत की गाड़ियों, कपड़े, फार्मा सामान पर बढ़ सकती है ड्यूटी, जानकारों का है मानना

अजय श्रीवास्तव ने कहा कि उनका अमेरिका फर्स्ट एजेंडा संभवतः सुरक्षात्मक उपायों पर जोर देगा, जैसे कि भारतीय वस्तुओं पर पारस्परिक शुल्क, जो संभवतः वाहन, शराब, कपड़ा और फार्मा जैसे प्रमुख भारतीय निर्यात के लिए बाधाएं बढ़ा सकता है. ये बढ़ोतरी अमेरिका में भारतीय उत्पादों को कम प्रतिस्पर्धी बना सकती है, जिससे इन क्षेत्रों में राजस्व प्रभावित हो सकता है. हालांकि, उन्होंने कहा कि चीन के प्रति अमेरिका का सख्त रुख भारतीय निर्यातकों के लिए नये अवसर पैदा कर सकता है. दोनों देशों के बीच वस्तुओं का द्विपक्षीय व्यापार 2023-24 में 120 अरब डॉलर रहा, जबकि 2022-23 में यह 129.4 अरब डॉलर था.

अंतरराष्ट्रीय व्यापार विशेषज्ञों का क्या है कहना

अंतरराष्ट्रीय व्यापार विशेषज्ञ बिस्वजीत धर ने कहा कि ट्रंप विभिन्न क्षेत्रों में शुल्क बढ़ाएंगे और ट्रंप के सत्ता में आने के साथ हम संरक्षणवाद के एक अलग युग में प्रवेश करने जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों पर इसका असर पड़ सकता है.

उन्होंने कहा कि जैसा कि पहले ट्रंप ट्रांस-पैसिफिक पार्टनरशिप (टीपीपी) से बाहर निकल चुके हैं, आईपीईएफ (समृद्धि के लिए हिंद-प्रशांत आर्थिक ढांचा) पर काले बादल छा सकते हैं. 14 देशों के इस ब्लॉक को अमेरिका और हिंद-प्रशांत क्षेत्र के अन्य देशों द्वारा 23 मई, 2022 को टोक्यो में शुरू किया गया था. भारतीय निर्यात संगठनों के महासंघ (फियो) के महानिदेशक अजय सहाय ने कह कि हम उम्मीद कर सकते हैं कि ट्रंप अधिक संतुलित व्यापार के लिए दबाव डालेंगे. लेकिन शुल्क को लेकर व्यापार विवाद उत्पन्न हो सकते हैं. सहाय ने कहा कि संरक्षणवाद की बढ़ती प्रवृत्ति को देखते हुए कड़े इमीग्रेशन नियमों के साथ यह ट्रेंड जारी रहेगा.

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