Cryptocurrency Market: डोनाल्ड ट्रंप ने दिया साथ...आसमान के पार पहुंचा क्रिप्टोकरेंसी का बाजार, अब सिर्फ एप्पल से है पीछे
डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के बाद से क्रिप्टोकरेंसी के बाजार में सकारात्मक बदलाव देखने को मिले हैं. एक्सपर्ट्स का मानना है कि ट्रंप की नीतियों ने निवेशकों का विश्वास बढ़ाया है.

हाल के दिनों में क्रिप्टोकरेंसी बाजार (cryptocurrency market) में तेजी आई है, जिससे इसका कुल मार्केट कैप अब माइक्रोसॉफ्ट के मार्केट कैप से ज्यादा हो गया है. मौजूदा समय में, क्रिप्टोकरेंसी का मार्केट कैप 3.62 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गया है, जबकि माइक्रोसॉफ्ट का मार्केट कैप 3.085 ट्रिलियन डॉलर है. इस बढ़त ने क्रिप्टोकरेंसी को दुनिया की दूसरी सबसे मूल्यवान संपत्ति बना दिया है, केवल एप्पल ही इसके आगे है, जिसका मार्केट कैप 3.548 ट्रिलियन डॉलर से अधिक है.
क्रिप्टोकरेंसी में तेजी के कारण
क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों में यह तेजी मुख्य रूप से राजनीतिक और आर्थिक कारकों के कारण आई है. डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के बाद से बाजार में सकारात्मक बदलाव देखने को मिले हैं. एक्सपर्ट्स का मानना है कि ट्रंप की नीतियों ने निवेशकों का विश्वास बढ़ाया है, जिससे क्रिप्टोकरेंसी में भारी निवेश हुआ है.
कैसे बढ़ा क्रिप्टोकरेंसी का मार्केट कैप
जनवरी 2015 में क्रिप्टोकरेंसी का मार्केट कैप केवल $0.004 ट्रिलियन था, जो अगले वर्षों में धीरे-धीरे बढ़ा. जनवरी 2021 में यह पहली बार $1 ट्रिलियन का आंकड़ा छू गया था और फिर एक साल बाद यह $2 ट्रिलियन तक पहुंच गया. हालांकि, पिछले साल यह गिरकर $1 ट्रिलियन रह गया था, लेकिन जनवरी 2024 में यह फिर से बढ़कर $1.75 ट्रिलियन हो गया और अब $3.62 ट्रिलियन तक पहुंच चुका है.
भविष्य की संभावनाएं क्या हैं
एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर क्रिप्टोकरेंसी की मांग इसी तरह बनी रहती है, तो आने वाले समय में इसका मार्केट कैप और भी बढ़ सकता है. H.C. Wainwright जैसे प्रमुख निवेश बैंकों ने भविष्यवाणी की है कि बिटकॉइन की कीमत 2025 के अंत तक $225,000 तक पहुंच सकती है. इससे न केवल बिटकॉइन बल्कि अन्य क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों में भी वृद्धि होने की संभावना है.
क्रिप्टो बाजार की बढ़त को बनाए रखने के लिए एक अनुकूल रेगुलेटरी वातावरण भी जरूरी होगा. कई देशों ने क्रिप्टोकरेंसी को वैधता देने के लिए कदम उठाए हैं, जिससे निवेशकों का विश्वास बढ़ा है. अमेरिका सहित कई देशों में संभावित रेगुलेटरी बदलावों को लेकर सकारात्मक उम्मीदें हैं.
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